
प्रतिमोक्ष
Pratimokṣa
(Collection of rules for Buddhist nuns and monks)
Summary
प्रातिमोक्ष: बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिए आचरण नियम
प्रातिमोक्ष ( संस्कृत: प्रातिमोक्ष ) बौद्ध भिक्षुओं (भिक्षु) और भिक्षुणियों (भिक्षुणी) के आचरण को नियंत्रित करने वाले नियमों की एक सूची है जो विनय पिटक में वर्णित हैं। "प्रति" का अर्थ है "की ओर" और "मोक्ष" का अर्थ है संसार के चक्र से मुक्ति।
प्रातिमोक्ष का महत्व:
- नैतिक आचरण: प्रातिमोक्ष नियम बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों को नैतिक और अनुशासित जीवन जीने में मदद करते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: इन नियमों का पालन करके, वे मानसिक शांति और एकाग्रता प्राप्त करते हैं जो उन्हें मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता करता है।
- संघ की एकता: सभी भिक्षुओं और भिक्षुणियों द्वारा समान नियमों का पालन संघ में एकता और सामंजस्य बनाए रखने में मदद करता है।
प्रातिमोक्ष का पाठ:
प्रातिमोक्ष के नियमों का पाठ हर पखवाड़े में संघ की एक सभा में किया जाता था। इस सभा में परंपरागत रूप से स्वीकारोक्ति भी की जाती थी।
विभिन्न बौद्ध परंपराओं में प्रातिमोक्ष:
प्रातिमोक्ष के कई संस्करण मौजूद हैं, जिनमें थेरवाद, महासंघिक, महिषासक, धर्मगुप्तक, सर्वास्तिवाद और मूलसर्वास्तिवाद विनय शामिल हैं। प्रातिमोक्ष ग्रंथ अलग-अलग "प्रातिमोक्ष सूत्र" में भी मिलते हैं, जो उनके संबंधित विनय से लिए गए अंश हैं।
संक्षेप में:
प्रातिमोक्ष बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिए आचरण का एक महत्वपूर्ण नियम है जो उन्हें नैतिकता, अनुशासन और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर चलने में मदद करता है।