
शलाकापुरुष
Śalākāpuruṣa
(63 illustrious people in Jainism)
Summary
शालाकापुरुष: जैन धर्म के 63 महान व्यक्ति
जैन धर्म के अनुसार, शालाकापुरुष 63 ऐसे प्रख्यात व्यक्ति होते हैं जो समय के प्रत्येक अर्ध-चक्र में प्रकट होते हैं। इन्हें त्रिषष्टिशलाकापुरुष (63 प्रसिद्ध व्यक्ति) के नाम से भी जाना जाता है। जैन धर्म का सार्वभौमिक या पौराणिक इतिहास इन 63 महान व्यक्तियों के जीवन और कार्यों का संग्रह है। इनकी जीवन गाथाएँ अत्यंत प्रेरणादायक मानी जाती हैं।
शालाकापुरुषों में निम्नलिखित 63 व्यक्ति शामिल हैं:
- 24 तीर्थंकर: ये जैन धर्म के प्रवर्तक और शिक्षक होते हैं।
- 12 चक्रवर्ती: ये छह खंडों (भरत, ऐरावत, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत और हरिवर्ष) के सम्राट होते हैं।
- 9 बलभद्र: ये शांत और वीर योद्धा होते हैं जो धर्म की रक्षा करते हैं।
- 9 नारायण: ये शक्तिशाली योद्धा होते हैं जो बलभद्र के बड़े भाई और रक्षक होते हैं।
- 9 प्रतिनारायण: ये नारायण के विरोधी और दुष्ट होते हैं।
जैन ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार, समय का न तो आदि है और न ही अंत। कालचक्र, समय का ब्रह्मांडीय पहिया, लगातार घूमता रहता है। कालचक्र को दो अर्ध-घूर्णनों में विभाजित किया गया है:
- उत्सर्पिणी: यह प्रगतिशील समृद्धि और खुशी का काल है जहाँ समय का विस्तार और युगों का पैमाना बढ़ता रहता है।
- अवसर्पिणी: यह बढ़ते दुःख और अनैतिकता का काल है जहाँ समय का विस्तार और युगों का पैमाना घटता रहता है।
प्रत्येक कालचक्र के दौरान, ये 63 शालाकापुरुष प्रकट होते हैं और समाज में धर्म और व्यवस्था स्थापित करते हैं। चूँकि जैन ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार समय शाश्वत है, इसलिए अनंत कालचक्र बीत चुके हैं और भविष्य में भी अनंत कालचक्र आएंगे। इस प्रकार, इन 63 शालाकापुरुषों के अनंत समूह प्रकट हुए हैं और भविष्य में भी प्रकट होते रहेंगे जो अपने-अपने युगों में व्यवस्था और धर्म की स्थापना करेंगे।
Hindi में विस्तार:
- तीर्थंकर: तीर्थंकर शब्द "तीर्थ" और "कर" से मिलकर बना है। "तीर्थ" का अर्थ है घाट या नदी पार करने का स्थान और "कर" का अर्थ है बनाने वाला। तीर्थंकर वे महान आत्माएँ हैं जो जन्म-मरण के चक्र से पार होकर मोक्ष प्राप्त करते हैं और दूसरों को भी मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं।
- चक्रवर्ती: चक्रवर्ती का अर्थ है "चक्र का स्वामी"। ये शक्तिशाली और धार्मिक सम्राट होते हैं जिनका शासन संपूर्ण पृथ्वी पर होता है।
- बलभद्र: बलभद्र अत्यंत बलवान और धार्मिक योद्धा होते हैं जो धर्म की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
- नारायण: नारायण भी बलभद्र की तरह शक्तिशाली और धार्मिक योद्धा होते हैं। वे बलभद्र के बड़े भाई होते हैं और उनकी रक्षा करते हैं।
- प्रतिनारायण: प्रतिनारायण दुष्ट और अत्याचारी होते हैं जो धर्म का नाश करने का प्रयास करते हैं।
शालाकापुरुषों की जीवन गाथाएँ जैन धर्म में बहुत महत्व रखती हैं। इनकी कथाएँ हमें साहस, त्याग, अहिंसा और धर्म के प्रति समर्पण का संदेश देती हैं।