
भारत के संरक्षित क्षेत्र
Protected areas of India
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Summary
भारत के संरक्षित क्षेत्र: विस्तृत जानकारी
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भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत चार श्रेणियों के संरक्षित क्षेत्र गठित किए गए हैं। इनमें राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, पक्षी अभयारण्य और संरक्षण रिजर्व शामिल हैं। इनमें से बाघ अभ्यारण्य राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के क्षेत्रों से मिलकर बनते हैं।
बाघ अभ्यारण्य: भारत में वर्तमान में 53 बाघ अभ्यारण्य हैं, जो बाघों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण के लिए समर्पित हैं। ये अभ्यारण्य बाघों की जनसंख्या की निगरानी, उनके शिकार को रोकने और उनके आवास को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
राष्ट्रीय उद्यान: ये संरक्षित क्षेत्र जैव विविधता के संरक्षण और पर्यावरण शिक्षा के लिए समर्पित होते हैं। यहाँ मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम होता है, जिससे वन्यजीवों को प्राकृतिक रूप से पनपने का अवसर मिलता है।
वन्यजीव अभयारण्य: ये क्षेत्र विशिष्ट वन्यजीव प्रजातियों या पारिस्थितिक तंत्रों के संरक्षण के लिए स्थापित किए जाते हैं। यहाँ कुछ मानवीय गतिविधियों की अनुमति हो सकती है, लेकिन वन्यजीवों के संरक्षण को प्राथमिकता दी जाती है।
संरक्षण रिजर्व: ये क्षेत्र उन क्षेत्रों को कवर करते हैं जिन्हें पारिस्थितिक या जैविक महत्व के कारण संरक्षण की आवश्यकता होती है। ये क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की तुलना में कम सख्त नियमों के साथ संचालित होते हैं।
संरक्षित क्षेत्रों का कुल क्षेत्रफल: जनवरी 2023 तक, भारत के संरक्षित क्षेत्रों का कुल क्षेत्रफल 173,629.52 वर्ग किलोमीटर (67,038.73 वर्ग मील) है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 5.28% है। यह संख्या लगातार बदलती रहती है क्योंकि नए क्षेत्रों को संरक्षित किया जा रहा है और मौजूदा संरक्षित क्षेत्रों का आकार बदल रहा है। यह दर्शाता है कि भारत जैव विविधता के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को कितना महत्व देता है। हालांकि, अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं जैसे अवैध शिकार, वनों की कटाई और मानव-वन्यजीव संघर्ष। इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावी नीतियों और सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है।