
धर्मनिरपेक्ष बौद्ध धर्म
Secular Buddhism
(Form of non-dogmatic Buddhism)
Summary
धर्मनिरपेक्ष बौद्ध धर्म: एक विस्तृत व्याख्या (Secular Buddhism: A Detailed Explanation)
"धर्मनिरपेक्ष बौद्ध धर्म", जिसे कभी-कभी "अज्ञेयवादी बौद्ध धर्म", "बौद्ध अज्ञेयवाद", "नास्तिक बौद्ध धर्म", "व्यावहारिक बौद्ध धर्म", या "बौद्ध धर्मनिरपेक्षता" भी कहा जाता है, बौद्ध धर्म का एक ऐसा रूप है जो मानवतावादी, संशयवादी और अज्ञेयवादी मूल्यों पर आधारित है। यह व्यावहारिकता और प्रायः प्रकृतिवाद को महत्व देता है और अलौकिक या अप्राकृतिक मान्यताओं को त्यागता है। इसे उन लोगों द्वारा धार्मिक लाभों के लिए बौद्ध रीति-रिवाजों और दर्शन को अपनाने के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो नास्तिक या अज्ञेयवादी हैं।
धर्मनिरपेक्ष बौद्ध धर्म की मुख्य विशेषताएं:
- तर्कसंगत और प्रमाणवादी दृष्टिकोण: धर्मनिरपेक्ष बौद्ध बुद्ध की शिक्षाओं और बौद्ध ग्रंथों की व्याख्या तर्कसंगत और प्रायः प्रमाणवादी तरीके से करते हैं। वे उन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों पर विचार करते हैं जिनमें बुद्ध रहते थे और जिनमें विभिन्न सूत्र और तंत्र लिखे गए थे।
- अंधविश्वासों का त्याग: यह ढाँचा बौद्ध धर्म को विभिन्न पारंपरिक मान्यताओं से मुक्त करता है जिन्हें अंधविश्वास माना जा सकता है या जिन्हें अनुभवजन्य शोध के माध्यम से परखा नहीं जा सकता है। इनमें शामिल हैं:
- अलौकिक शक्तियाँ (जैसे देवता, बोधिसत्व, नाग, प्रेत, बुद्ध, आदि)
- पुण्य और उसका स्थानांतरण
- पुनर्जन्म और कर्म
- बौद्ध ब्रह्माण्ड विज्ञान (शुद्ध भूमि और नरकों के अस्तित्व सहित)
- सामाजिक मुद्दों पर पुनर्विचार: गर्भपात और मानव कामुकता जैसे सामाजिक मुद्दों के बारे में पारंपरिक बौद्ध नैतिक विचारों पर भी सवाल उठाया जा सकता है। कुछ सम्प्रदाय, विशेष रूप से पश्चिमी बौद्ध, वैकल्पिक दृष्टिकोण अपनाते हैं।
सारांश में, धर्मनिरपेक्ष बौद्ध धर्म बौद्ध दर्शन के मूल सिद्धांतों, जैसे ध्यान, करुणा और दुख से मुक्ति, को आधुनिक जीवन में एक व्यावहारिक और तर्कसंगत तरीके से लागू करने का प्रयास करता है। यह अलौकिक मान्यताओं या कर्मकांडों पर निर्भर किए बिना नैतिक और सार्थक जीवन जीने पर केंद्रित है।