
नामधारी
Namdhari
(Sect of Sikhism)
Summary
नामधारी: सिख धर्म का एक अलग समुदाय
नामधारी, जिन्हें कुका या कुकाईज्म के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म का एक अलग समुदाय है। वे मुख्यधारा के सिखों से अलग इस बात में हैं कि वे मानते हैं कि सिख गुरुओं का वंश गुरु गोबिंद सिंह (1666–1708) के साथ समाप्त नहीं हुआ। वे बालक सिंह (1797–1862) को सिख धर्म के 11वें गुरु के रूप में मानते हैं। उनके अनुसार गुरुओं का वंश गुरु नानक देव से लेकर आज तक जारी है।
नामधारी नाम का अर्थ: "नामधारी" शब्द "नाम" और "धारी" शब्दों से बना है। "नाम" का अर्थ है "ईश्वर का नाम" और "धारी" का अर्थ है "वाहक"। इसलिए नामधारी का अर्थ है "ईश्वर के नाम के वाहक"।
कुका शब्द का अर्थ: "कुका" शब्द पंजाबी शब्द "कुक्" से आया है जिसका अर्थ "चिल्लाना" या "रोना" होता है। नामधारी समुदाय में, यह शब्द "ईश्वर के नाम का जाप करने" के अर्थ में प्रयोग किया जाता था।
नामधारी धर्म के प्रमुख सिद्धांत:
- गुरुओं का वंश जारी रहना: नामधारी मानते हैं कि गुरुओं का वंश गुरु गोबिंद सिंह के बाद भी जारी रहा और बालक सिंह को 11वाँ गुरु मानते हैं।
- ईश्वर के नाम का जाप: नामधारी ईश्वर के नाम का जाप करने पर बहुत ज़ोर देते हैं।
- नॉन-वायलेंस: नामधारी अहिंसा में विश्वास करते हैं और ब्रिटिश शासन के विरोध में अहिंसक तरीकों का प्रयोग करते थे।
- सामाजिक सुधार: नामधारी समुदाय ने समाज में सुधार के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने जातिवाद, छुआछूत और महिलाओं के उत्पीड़न का विरोध किया।
- स्वतंत्रता संग्राम: नामधारी समुदाय ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नामधारी धर्म के प्रमुख गुरु:
- बालक सिंह (11वाँ गुरु): नामधारी समुदाय द्वारा मान्य 11वाँ गुरु। उन्होंने 1840 में नामधारी धर्म की स्थापना की।
- राम सिंह (12वाँ गुरु): बालक सिंह के शिष्य और नामधारी धर्म के नेता। उन्होंने नामधारी समुदाय का केंद्र भैनी साहिब (लुधियाना) में स्थानांतरित किया।
- गुरु देव सिंह: राम सिंह के उत्तराधिकारी और नामधारी धर्म के वर्तमान गुरु।
नामधारी समुदाय की वर्तमान स्थिति:
नामधारी समुदाय आज भी सक्रिय है और भारत के विभिन्न हिस्सों में फैला हुआ है। वे अपनी धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से सिख धर्म को बढ़ावा दे रहे हैं।
निष्कर्ष:
नामधारी समुदाय सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है। वे सिख धर्म के अहिंसक और सामाजिक सुधारों के लिए जानते हैं। नामधारी समुदाय ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आज भी सिख धर्म और समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।