विभाण्डक
Vibhandaka
(Sage in Hinduism)
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विभांडक ऋषि: एक संक्षिप्त परिचय
विभांडक (संस्कृत: विभण्डक, रोमन लिपि: Vibhāṇḍaka) हिन्दू धर्म में एक ऋषि थे जो कश्यप ऋषि की वंशावली से संबंधित थे। रामायण महाकाव्य में वर्णित ऋष्याश्रृंग उनके पुत्र थे।
विभांडक ऋषि की कहानी:
- विभांडक ऋषि एक तपस्वी और विद्वान थे। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश भाग तपस्या में बिताया और ज्ञान अर्जित करने के लिए अनेक वर्षों तक कठोर साधना की।
- उनकी पत्नी का नाम "सुरभि" था।
- उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई, इसलिए उन्होंने अपने भाई से एक पुत्री को गोद लिया और उनका नाम "ऋष्याश्रृंग" रखा।
- ऋष्याश्रृंग को जंगल में ही पाला गया और उन्हें दुनिया के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
- बाद में, जब राजा दशरथ ने उन्हें अपने राज्य में बुलाया, तो ऋष्याश्रृंग के आशीर्वाद से राजा दशरथ को पुत्र की प्राप्ति हुई।
विभांडक ऋषि का महत्व:
- विभांडक ऋषि को हिन्दू धर्म में एक सम्मानित ऋषि के रूप में माना जाता है।
- उनके पुत्र ऋष्याश्रृंग की कहानी रामायण महाकाव्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि उनके आशीर्वाद से राजा दशरथ को पुत्र की प्राप्ति होती है।
- विभांडक ऋषि के जीवन और उनके पुत्र ऋष्याश्रृंग की कहानी हमें तपस्या, ज्ञान और धार्मिक आस्था के महत्व को समझने में मदद करती है।
Vibhandaka is a rishi in Hinduism, belonging to the lineage of Sage Kashyapa. His son was Rishyashringa, featured in the epic Ramayana.