
उपाली
Upāli
(One of Gautama Buddha's main disciples, foremost in monastic discipline)
Summary
उपाली: बुद्ध के शिष्य और विनय के धारक
उपाली बुद्ध के दस प्रमुख शिष्यों में से एक थे। प्रारंभिक बौद्ध ग्रंथों के अनुसार, पहली बौद्ध संगीति में उन्हें मठवासी अनुशासन (विनय) के पाठ और समीक्षा का कार्यभार सौंपा गया था।
प्रारंभिक जीवन और दीक्षा:
उपाली नाई समुदाय से थे। वे बचपन में ही बुद्ध से मिले थे। बाद में, जब शाक्य राजकुमारों ने दीक्षा ली, तो उन्होंने भी दीक्षा ग्रहण की। उन्होंने जाति से ऊपर उठकर विनम्रता दिखाते हुए राजकुमारों से पहले दीक्षा ली। दीक्षा लेने के बाद, उपाली ने बौद्ध धर्म और विनय दोनों का गहन अध्ययन किया। उनके गुरु कप्पितक थे।
विनय में महारत:
उपाली अपनी विनय की महारत और कठोरता के लिए जाने जाते थे। विनय संबंधी मामलों पर अक्सर उनसे सलाह ली जाती थी। उन्होंने भिक्षु अज्जुक के मामले का फैसला किया था, जिन पर संपत्ति विवाद में पक्षपात का आरोप था।
पहली बौद्ध संगीति में भूमिका:
पहली बौद्ध संगीति के दौरान, उपाली को विनय का पाठ करने का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया था, जिसके लिए वे सबसे ज्यादा जाने जाते हैं।
विरासत:
विनयधारक: उपाली और उनके शिष्यों को 'विनयधारक' (विनय के संरक्षक) के रूप में जाना जाने लगा, जिन्होंने बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद मठवासी अनुशासन को संरक्षित रखा।
श्रीलंका और बर्मा में प्रभाव: यह वंश श्रीलंका और बर्मी बौद्ध धर्म की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
चीन में विनय स्कूल: चीन में, ७वीं शताब्दी के विनय स्कूल ने उपाली को अपना संरक्षक माना, और यह माना जाता था कि उनके संस्थापकों में से एक उनका पुनर्जन्म था।
आधुनिक नैतिकता में प्रासंगिकता: बुद्ध और उपाली के बीच विनय के बारे में तकनीकी बातचीत, पालि और सर्वस्तिवाद परंपराओं में दर्ज की गई हैं, जिन्हें अमेरिकी बौद्ध धर्म में आधुनिक नैतिकता के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन विषय के रूप में प्रस्तावित किया गया है।
संक्षेप में, उपाली विनय के धारक और बुद्ध के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। उनकी विरासत आज भी बौद्ध परंपराओं में जीवित है।