पूर्णिमा
Purnima
(Sanskrit word for full moon day)
Summary
पूर्णिमा: चाँद की पूर्णता का दिन
पूर्णिमा (संस्कृत: पूर्णिमा) संस्कृत में पूर्ण चंद्रमा के लिए शब्द है। पूर्णिमा का दिन हर महीने का वह दिन (तिथि) होता है जब पूर्ण चंद्रमा होता है। यह हर महीने के दो चंद्र पक्षों (पक्ष) के बीच विभाजन का प्रतीक है, और चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी एक सीधी रेखा में संरेखित होता है, जिसे संयुति (syzygy) कहा जाता है।
पूर्ण चंद्रमा को चाँद के चार मुख्य चरणों में से तीसरा माना जाता है; अन्य तीन चरण अमावस्या, पहला चरण और तीसरा चरण हैं। पूर्ण चंद्रमा 100% रोशनी दिखाता है, उच्च ज्वार का कारण बनता है और चंद्र ग्रहण के साथ मेल खा सकता है।
विवरण:
पूर्णिमा का महत्व: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा, व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। कुछ महत्वपूर्ण पूर्णिमा त्योहारों में हैं:
- श्रावण पूर्णिमा: यह दिन रक्षाबंधन के लिए जाना जाता है, जहाँ बहनें अपने भाइयों के हाथ पर राखी बांधती हैं।
- कार्तिक पूर्णिमा: इसे दीपावली से पहले मनाया जाता है और यह प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है।
- माघ पूर्णिमा: यह दिन स्नान और दान करने के लिए शुभ माना जाता है।
पूर्णिमा और ज्वार-भाटा: चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी पर पानी को प्रभावित करती है, जिससे ज्वार-भाटा होता है। पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के एक ही तरफ होते हैं, जिससे गुरुत्वाकर्षण शक्ति बढ़ जाती है और उच्च ज्वार आते हैं।
पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण: पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण हो सकता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है।
संक्षेप में, पूर्णिमा चंद्रमा के चक्र में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो विभिन्न धार्मिक और खगोलीय घटनाओं से जुड़ा है।