Dvitiya

द्वितीया

Dvitiya

(Second day of a lunar fortnight in the Hindu calendar)

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द्वितीया: हिन्दू कैलेंडर का दूसरा दिन

द्वितीया (संस्कृत: द्वितीय, रोमन: Dvitīya), जिसे बीज (संस्कृत: बीज, रोमन: Bīja) और दुजा (संस्कृत: दुजा, रोमन: Dujā) भी कहा जाता है, संस्कृत में "दूसरा" का अर्थ है। यह हिन्दू कैलेंडर के चांद्र पक्ष (Paksha) का दूसरा दिन है।

हर हिन्दू महीने में दो द्वितीया दिन होते हैं: एक शुक्ल पक्ष में (चंद्रमा के बढ़ने का समय) और दूसरा कृष्ण पक्ष में (चंद्रमा के घटने का समय)। द्वितीया प्रत्येक महीने के दूसरे और सत्रहवें दिन आता है।

विवरण:

  • द्वितीया शब्द संस्कृत शब्द "द्वितीय" से लिया गया है, जिसका अर्थ "दूसरा" है।
  • बीज शब्द "बीज" से लिया गया है, जो नए जीवन की शुरुआत को दर्शाता है।
  • दुजा शब्द "दुजा" से लिया गया है, जो "दूसरा" को इंगित करता है।

महत्व:

द्वितीया दिन को हिन्दू धर्म में कई कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है:

  • नए जीवन की शुरुआत: बीज के रूप में, यह दिन नई शुरुआत और नई संभावनाओं का प्रतीक है।
  • पूजा और अनुष्ठान: इस दिन देवी-देवताओं की पूजा और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
  • शुभ दिन: यह दिन विवाह, नए व्यवसाय की शुरुआत, यात्रा, और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।

निष्कर्ष:

द्वितीया हिन्दू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण दिन है जो नई शुरुआत, पूजा, और शुभता का प्रतीक है। यह दिन हर महीने दो बार आता है, और हिन्दू धर्म में इसका विशेष महत्व है।


Dvitiya also referred to as Beej and Dooj is the Sanskrit word for "second", and is the second day of the lunar fortnight (Paksha) of the Hindu calendar. Each Hindu month has two dvitiya days, being the second day of the "bright" (Shukla) and of the "dark" (Krishna) fortnights respectively. Dvitiya occurs on the second and the seventeenth day of each month.



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