पंज तख्त
Panj Takht
(Five major Sikh temples in India)
Summary
पांच तख्त: सिख धर्म के पवित्र स्थल
"तख्त" शब्द का अर्थ है "सिंहासन" या "अधिकार की सीट"। सिख धर्म में पांच ऐसे तख्त हैं जो बेहद महत्वपूर्ण हैं। ये पांच गुरुद्वारे सिख समुदाय के लिए बेहद खास हैं। तीन तख्त पंजाब में स्थित हैं और बाकी के दो पंजाब से बाहर स्थित हैं।
पहला और सबसे महत्वपूर्ण तख्त 1609 में गुरु हरगोबिंद ने स्थापित किया था: अकाल तख्त (काल रहित भगवान का सिंहासन), जो अमृतसर में हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) के द्वार के ठीक सामने स्थित है। हरमंदिर साहिब, या स्वर्ण मंदिर, सिख धर्म के आध्यात्मिक मार्गदर्शन का प्रतीक है, जबकि अकाल तख्त न्याय और सांसारिक गतिविधियों का प्रतीक है। यह खालसा का सर्वोच्च सांसारिक अधिकार का केंद्र है और सिख धर्म के सांसारिक अधिकार की सीट है। यहां, गुरु अपना दरबार लगाते थे और सैन्य रणनीति और राजनीतिक नीतियों के बारे में निर्णय लेते थे। बाद में, सिख राष्ट्र (सरबत खालसा) ने शांति और युद्ध के मामलों पर यहां निर्णय लिया और विभिन्न सिख समूहों के बीच विवादों का निपटारा किया।
पांच तख्त इस प्रकार हैं:
- अकाल तख्त (अमृतसर, पंजाब): सिख धर्म का सर्वोच्च सांसारिक अधिकार का केंद्र।
- तख्त श्री हरिमंदिर जी (पटना साहिब, बिहार): गुरु गोबिंद सिंह का जन्मस्थान।
- तख्त श्री केसगढ़ साहिब (अनंदपुर साहिब, पंजाब): गुरु गोबिंद सिंह ने यहां खालसा पंथ की स्थापना की।
- तख्त श्री दमदमा साहिब (तलवंडी साबो, पंजाब): गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाशन यहां हुआ था।
- तख्त श्री पटना साहिब (पटना, बिहार): गुरु गोबिंद सिंह का जन्मस्थान।
2010 में, महाराष्ट्र सरकार से ली गई "डेक्कन ओडिसी" ट्रेन ने पांचों तख्तों की यात्रा करने का लक्ष्य रखा था, जिसमें पांचवें तख्त (तख्त श्री पटना साहिब) तक उड़ान भी शामिल थी। पांच तख्तों की तीर्थ यात्रा के लिए एक विशेष ट्रेन, "पांच तख्त स्पेशल ट्रेन", 16 फरवरी 2014 को सेवा शुरू की गई।
पांचों तख्त सिख धर्म में आस्था और इतिहास का प्रतीक हैं। ये सिख धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं और उन्हें तीर्थ यात्रा के लिए जाना जाता है।