
बौद्ध शाकाहार
Buddhist vegetarianism
(Vegetarianism in Buddhist culture and philosophy)
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बौद्ध धर्म में शाकाहार
बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय के भिक्षु और अनुयायी, और कुछ अन्य सम्प्रदायों के बौद्ध भी, शाकाहार का पालन करते हैं। बौद्ध धर्म में शाकाहार के प्रति विचार अलग-अलग विचारधाराओं के आधार पर भिन्न होते हैं।
महायान सम्प्रदाय सामान्यतः शाकाहारी भोजन की सलाह देता है। उनका दावा है कि गौतम बुद्ध ने कुछ सूत्रों में स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके अनुयायियों को किसी भी प्राणी का मांस नहीं खाना चाहिए।
आइए इसे और विस्तार से समझते हैं:
- महायान बौद्ध धर्म: इस सम्प्रदाय में, अहिंसा (हिंसा न करना) को एक महत्वपूर्ण सिद्धांत माना जाता है। महायान सूत्रों में मांसाहार के सेवन का स्पष्ट रूप से निषेध है। ऐसा माना जाता है कि मांस खाने से कर्म बंधन होता है और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पाना कठिन हो जाता है।
- थेरवाद बौद्ध धर्म: यह सम्प्रदाय मांसाहार के प्रति उतना सख्त नहीं है जितना महायान। थेरवाद भिक्षुओं को भोजन के लिए भिक्षा पर निर्भर रहना होता है, और उन्हें जो भी भोजन दान में मिलता है, उसे स्वीकार करना होता है, चाहे वह शाकाहारी हो या मांसाहारी। हालाँकि, उन्हें स्वयं मांस मारने या किसी से मारने के लिए कहने की अनुमति नहीं होती है।
- बौद्ध धर्म के अन्य सम्प्रदाय: कुछ अन्य बौद्ध सम्प्रदाय भी शाकाहार को प्रोत्साहित करते हैं, जबकि कुछ इसे व्यक्तिगत पसंद मानते हैं।
सारांश में: बौद्ध धर्म में शाकाहार एक महत्वपूर्ण विषय है, खासकर महायान सम्प्रदाय में। अहिंसा और करुणा के सिद्धांतों के कारण, अधिकांश महायान बौद्ध शाकाहारी जीवनशैली का पालन करते हैं।
Buddhist vegetarianism is the practice of vegetarianism by significant portions of Mahayana Buddhist monastics and laypersons as well as some Buddhists of other sects. In Buddhism, the views on vegetarianism vary between different schools of thought. The Mahayana schools generally recommend a vegetarian diet, claiming that Gautama Buddha set forth in some of the sutras that his followers must not eat the flesh of any sentient being.