
समानेरा
Samanera
(Buddhist male novice)
Summary
सातत्य और त्याग की ओर पहला कदम: श्रामणेर
बौद्ध धर्म में, एक श्रामणेर, संस्कृत: श्रामणेर (Pali: sāmaṇera) एक युवा पुरुष होता है जो बौद्ध भिक्षु बनने की दिशा में अपना पहला कदम रखता है। यह एक प्रकार का धार्मिक प्रशिक्षु होता है जो बौद्ध धर्म के सिद्धांतों और जीवनशैली को सीखता और अभ्यास करता है।
श्रामणेर बनने के लिए, एक युवक को कम से कम सात साल का होना चाहिए और उसे अपने माता-पिता की अनुमति होनी चाहिए। उसे प्रव्रज्या नामक एक समारोह में औपचारिक रूप से बौद्ध संघ में शामिल किया जाता है। इस समारोह में, उसे बौद्ध धर्म के दस शील का पालन करने का वचन लेना होता है, जो इस प्रकार हैं:
- प्राणि हिंसा न करना: किसी भी जीव को न मारना
- चोरी न करना: जो तुम्हारा नहीं है उसे न लेना
- काम मिथ्याचार न करना: ब्रह्मचर्य का पालन करना
- झूठ न बोलना: हमेशा सच बोलना
- नशीले पदार्थों का सेवन न करना: शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न करना
- असमय भोजन न करना: दोपहर के बाद भोजन न करना
- मनोरंजन से दूर रहना: नाच, गाना, संगीत आदि से दूर रहना
- सुगंध, फूल-माला आदि का प्रयोग न करना: सादगी से रहना
- ऊँचे और आरामदायक बिस्तर पर न सोना: सादगी से सोना
- सोना, चांदी आदि धातुओं को स्वीकार न करना: सांसारिक वस्तुओं से विरक्त रहना
एक श्रामणेर बौद्ध मठ में रहता है और अपने गुरु (उपाध्याय) के मार्गदर्शन में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों, ध्यान और अनुशासन का अभ्यास करता है। वह अपने दैनिक जीवन में भिक्षुओं की सहायता करता है और उनसे सीखता है।
एक महिला जो बौद्ध भिक्षुणी बनने की तैयारी कर रही होती है उसे श्रामनेरी या श्रामणेरिका (Pali: sāmaṇerī) कहा जाता है।
श्रामणेर का जीवन सादगी, अनुशासन और त्याग का जीवन होता है। यह बौद्ध धर्म के मार्ग पर चलने और निर्वाण प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होता है।