Satyakāma_Jābāla

सत्यकाम जाबाला

Satyakāma Jābāla

(Vedic sage born to an unwed mother)

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सत्यकाम जाबाल: सच्चाई और ज्ञान की यात्रा

सत्यकाम जाबाल एक प्रसिद्ध वैदिक ऋषि थे, जिनका उल्लेख प्राचीन वैदिक ग्रंथ छान्दोग्य उपनिषद के चौथे अध्याय में मिलता है।

एक ब्रह्मचारी की खोज:

सत्यकाम बचपन में ब्रह्मचारी बनने की इच्छा से अपनी माता जाबाला से अपने पिता और परिवार के बारे में पूछता है। जाबाला उसे बताती है कि वह अपनी जवानी में कई जगहों पर घूमती रही, विभिन्न लोगों की सेवा करती रही और अपने पति के बारे में नहीं जानती थी।

सत्य और ज्ञान की पहचान:

ज्ञान की तीव्र इच्छा से सत्यकाम ऋषि हरिद्रुमता गौतम के पास जाते हैं और ब्रह्मचर्य के लिए उनके आश्रम में रहने की अनुमति मांगते हैं। गौतम जी उनसे पूछते हैं कि वे किस परिवार से हैं। सत्यकाम, अपनी अनिश्चित parentage का सच बताता है। गौतम जी उसकी ईमानदारी को देखकर कहते हैं कि "बेटा, आपकी ईमानदारी आपको ब्राह्मण बनाती है, जो ब्रह्म के ज्ञान की तलाश करता है।" गौतम जी उसे अपना शिष्य बना लेते हैं।

पशुओं से ज्ञान:

गौतम जी सत्यकाम को चार सौ गायों की देखभाल करने का काम सौंपते हैं और कहते हैं कि जब उनकी संख्या एक हजार हो जाए, तो वापस आना। इस कहानी में, सत्यकाम एक बैल, आग, हंस और मद्गु (डाइवर पक्षी) से बातचीत करते हैं। ये जीव क्रमशः वायु, अग्नि, आदित्य और प्राण का प्रतीक हैं।

ब्रह्म की खोज:

सत्यकाम इन प्राणियों से जानता है कि ब्रह्म का रूप चारों दिशाओं (उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम), पृथ्वी, आकाश, समुद्र, आग, सूर्य, चंद्रमा, बिजली और मनुष्य के प्राण, आंख, कान और मन में मौजूद है। सत्यकाम एक हजार गायों के साथ गुरु के पास वापस आता है और ब्रह्म की प्रकृति के बारे में ज्ञान प्राप्त करता है।

ज्ञान का प्रसार:

सत्यकाम जाबाल एक प्रसिद्ध ऋषि बनते हैं और उनकी शिक्षाओं से कई लोग लाभान्वित होते हैं। उनके नाम पर एक वैदिक पाठशाला स्थापित होती है और "जाबाल उपनिषद" नामक ग्रंथ लिखा जाता है, जो सन्यास (हिंदू धर्म में तपस्वी जीवन) पर आधारित है। सत्यकाम के शिष्य उपकोसल कमलायण की कहानी भी छान्दोग्य उपनिषद में वर्णित है।

निष्कर्ष:

सत्यकाम जाबाल की कहानी हमें सच्चाई, ज्ञान की तलाश और ईमानदारी की महत्ता सिखाती है। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि किसी भी स्थिति में सच बोलना और ज्ञान प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करना चाहिए।


Satyakāma Jābāla also known as Satyakāma Jābāli is a boy, and later a Vedic sage, who first appears in the fourth prapāṭhaka/chapter of the ancient Vedic text, the Chhāndogya Upanishad.



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