Gita_Mahotsav

गीता महोत्सव

Gita Mahotsav

(Hindu observance marking the composition of the Bhagavad Gita)

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गीता महोत्सव: भगवद्गीता का महान उत्सव

गीता महोत्सव, जिसे गीता जयंती, मोक्षदा एकादशी या मत्स्य द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू उत्सव है जो भगवद्गीता में अर्जुन और कृष्ण के बीच कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में हुए संवाद को याद करता है। यह उत्सव हिन्दू कैलेंडर के मार्गशीर्ष महीने (दिसंबर-जनवरी) की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता है?

यह दिन भगवद्गीता के ज्ञान और उपदेशों का स्मरण कराता है। गीता, जो श्रीमद्भगवद्गीता का संक्षिप्त नाम है, हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। यह ग्रंथ जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जिसमें धर्म, कर्म, ज्ञान, मोक्ष, और आत्म-साक्षात्कार जैसे विषय शामिल हैं।

कैसे मनाया जाता है?

इस दिन, भक्त गीता का पाठ करते हैं, भजन गाते हैं, और गीता के उपदेशों पर विचार करते हैं। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।

महत्व:

गीता महोत्सव का महत्व इस बात में है कि यह दिन हमें जीवन के उद्देश्य और धर्म के महत्व की याद दिलाता है। भगवद्गीता के उपदेशों को अपने जीवन में लागू करने से, हम एक सार्थक और पवित्र जीवन जी सकते हैं।


Gita Mahotsav , Gita Jayanti, also known as Mokshada Ekadashi or Matsya Dvadashi is a Hindu observance that marks the day the Bhagavad Gita dialogue occurred between Arjuna and Krishna on the battlefield of Kurukshetra. It is celebrated on Shukla Ekadashi, the 11th day of the waxing moon of the lunar month Margashirsha (December–January) of the Hindu calendar.



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