Auspicious_dreams_in_Jainism

जैन धर्म में शुभ स्वप्न

Auspicious dreams in Jainism

(14 or 16 dreams depicted in Jainism)

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शुभ स्वप्न: जैन धर्म में गर्भावस्था के शुभ संकेत

जैन धर्म के ग्रंथों में कुछ खास सपनों को शुभ स्वप्न माना गया है जो गर्भ में पल रहे बच्चे के श्रेष्ठ गुणों का संकेत देते हैं। अलग-अलग परंपराओं में इनकी संख्या भिन्न हो सकती है, लेकिन आमतौर पर इन्हें चौदह या सोलह स्वप्नों के रूप में वर्णित किया जाता है।

माना जाता है कि तीर्थंकरों जैसे जैन धर्म के महान व्यक्तियों के माताओं ने भी अपने पुत्रों के गर्भधारण के समय ऐसे ही शुभ स्वप्न देखे थे। इन स्वप्नों को भविष्य में जन्म लेने वाले बच्चे के राजसी ठाठ-बाट, उच्च नैतिक मूल्यों और महानता के प्रतीक के रूप में व्याख्यायित किया जाता है।

यहाँ कुछ प्रमुख शुभ स्वप्नों का उल्लेख है:

१. सफ़ेद हाथी: यह स्वप्न शक्ति, ज्ञान, बुद्धि और नियंत्रण का प्रतीक माना जाता है।

२. सफ़ेद बैल: यह स्वप्न शक्ति, धैर्य, त्याग और सेवाभाव का प्रतीक माना जाता है।

३. शेर: यह स्वप्न साहस, निर्भयता, नेतृत्व और न्यायप्रियता का प्रतीक माना जाता है।

४. लक्ष्मी: धन की देवी लक्ष्मी का स्वप्न समृद्धि, सौभाग्य और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है।

५. पुष्प माला: यह स्वप्न सुंदरता, प्रसिद्धि, आकर्षण और लोकप्रियता का प्रतीक माना जाता है।

६. पूर्णिमा का चाँद: यह स्वप्न ज्ञान, प्रकाश, पवित्रता और शांति का प्रतीक माना जाता है।

७. सूर्य: यह स्वप्न तेज, प्रताप, ऊर्जा और अमरत्व का प्रतीक माना जाता है।

८. ध्वज: यह स्वप्न विजय, सफलता, गरिमा और प्रभुत्व का प्रतीक माना जाता है।

९. कलश: यह स्वप्न समृद्धि, ज्ञान, पवित्रता और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है।

१०. कमल: यह स्वप्न पवित्रता, ज्ञान, सौंदर्य और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।

ये स्वप्न जैन कला में भी अलंकरण के रूप में देखे जाते हैं। माना जाता है कि इन स्वप्नों का दर्शन माता और बच्चे दोनों के लिए शुभ और कल्याणकारी होता है।


Auspicious dreams are often described in texts of Jainism which forecast the virtue of children. Their number varies according to different traditions and they described frequently as fourteen or sixteen dreams. They are seen by mothers of the prominent figures in Jainism including Tirthankaras, on the conception of their soul in the womb. They are interpreted as describing virtues and kingship of a future child. They are also found in various artistic media as an ornamentation.



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