Guru_Arjan

गुरु अर्जन

Guru Arjan

(Fifth Sikh guru from 1581 to 1606)

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गुरु अर्जन देव: सिख धर्म के पाँचवें गुरु

गुरु अर्जन देव (जन्म 15 अप्रैल 1563, मृत्यु 30 मई 1606) दस सिख गुरुओं में से पाँचवें गुरु थे। उन्होंने सिख धर्म ग्रंथ, आदि ग्रंथ, का पहला आधिकारिक संस्करण संकलित किया, जिसका बाद में विस्तार करके गुरु ग्रंथ साहिब बनाया गया। उन्हें सिख धर्म के दो शहीद गुरुओं में से पहले गुरु के रूप में सम्मानित किया जाता है।

जीवन और कार्य:

  • जन्म और परिवार: गुरु अर्जन देव का जन्म पंजाब के गोइंदवाल में हुआ था। वे भाई जेठे (जो बाद में गुरु राम दास हुए) और माता भानी (गुरु अमर दास की बेटी) के सबसे छोटे बेटे थे।
  • अमृतसर और हरमंदिर साहिब: उन्होंने चौथे सिख गुरु द्वारा स्थापित अमृतसर शहर में दरबार साहिब का निर्माण पूरा किया। उन्होंने सरोवर का निर्माण भी करवाया था।
  • आदि ग्रंथ: गुरु अर्जन देव ने पिछले गुरुओं और अन्य संतों के भजनों को एकत्र करके आदि ग्रंथ का संकलन किया। उन्होंने इसे हरमंदिर साहिब में स्थापित किया।
  • मसन्द प्रणाली: गुरु अर्जन देव ने गुरु राम दास द्वारा शुरू की गई मसन्द प्रणाली को पुनर्गठित किया। उन्होंने सिखों से कहा कि यदि संभव हो तो अपनी आय, वस्तुओं या सेवाओं का दसवाँ हिस्सा सिख संगठन (दसवंध) को दान करें। मसन्द न केवल इन निधियों को इकट्ठा करते थे, बल्कि सिख धर्म के सिद्धांतों को भी सिखाते थे और अपने क्षेत्र में नागरिक विवादों का समाधान भी करते थे। दसवंध का उपयोग गुरुद्वारों और लंगर (सामूहिक रसोई) के निर्माण के लिए किया जाता था।

शहादत:

  • मुगल सम्राट जहांगीर का उत्पीड़न: गुरु अर्जन देव को मुगल सम्राट जहांगीर के आदेश पर गिरफ्तार कर लिया गया। जहांगीर ने उन पर खुर्रम मिर्जा (जहांगीर का बेटा) के विद्रोह का समर्थन करने का आरोप लगाया।
  • इस्लाम धर्म अपनाने से इनकार: गुरु अर्जन देव से इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
  • निष्पादन: 1606 ईस्वी में गुरु अर्जन देव को यातनाएं दी गईं और उन्हें मृत्युदंड दिया गया। ऐतिहासिक रिकॉर्ड और सिख परंपरा यह स्पष्ट नहीं करती है कि गुरु अर्जन देव को डूबकर मार दिया गया था या यातनाओं के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी। सिख परंपरा बताती है कि गुरु का निष्पादन मुगल साम्राज्य के शासनकाल में सिखों के उत्पीड़न का हिस्सा था।
  • शहादत दिवस: गुरु अर्जन देव की शहादत को सिख धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। यह घटना को वर्ष 2003 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा जारी नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मई या जून में "शहीदी दिवस" के रूप में मनाया जाता है।

गुरु अर्जन देव सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने सिख धर्म को व्यवस्थित करने और सिख धर्म ग्रंथों को संकलित करके सिख धर्म को मजबूत किया। उनकी शहादत ने सिख समुदाय को एकजुट करने और उनकी धार्मिक पहचान को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


Guru Arjan was the fifth of the ten total Sikh Gurus. He compiled the first official edition of the Sikh scripture called the Adi Granth, which later expanded into the Guru Granth Sahib. He is regarded as the first of the two Gurus martyred in the Sikh faith.



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