
मुल्तान की घेराबंदी (1848-1849)
Siege of Multan (1848–1849)
(Part of the Second Anglo-Sikh War)
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मुल्तान की घेराबंदी: 1848-1849
19 अप्रैल 1848 से 22 जनवरी 1849 तक चली मुल्तान की घेराबंदी, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और सिख साम्राज्य के बीच एक महत्वपूर्ण युद्ध थी। यह युद्ध, जो दूसरे आंग्ल-सिख युद्ध का प्रारंभ था, ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियुक्त शासक के विरुद्ध विद्रोह से शुरू हुआ था। अंततः, मुल्तान के अंतिम रक्षकों ने ब्रिटिश सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
घटनाक्रम:
- 1848: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुल्तान के शासक को बदलने का फैसला किया और मुजफ्फर खान को उनके स्थान पर नियुक्त किया।
- विद्रोह: मुजफ्फर खान की नियुक्ति को मुल्तान के लोगों ने स्वीकार नहीं किया और उन्होंने विद्रोह कर दिया।
- ब्रिटिश सेना का आक्रमण: विद्रोह को दबाने के लिए ब्रिटिश सेना ने मुल्तान पर आक्रमण किया।
- मुल्तान की घेराबंदी: मुल्तान शहर को घेर लिया गया और लगातार युद्ध चलता रहा।
- ब्रिटिश सेना की जीत: लगभग नौ महीनों तक चली घेराबंदी के बाद ब्रिटिश सेना ने मुल्तान पर विजय प्राप्त की।
- आत्मसमर्पण: मुल्तान के अंतिम रक्षकों ने 22 जनवरी 1849 को ब्रिटिश सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
इस युद्ध का परिणाम:
- सिख साम्राज्य का पतन: मुल्तान की घेराबंदी, दूसरे आंग्ल-सिख युद्ध का एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, जिसने सिख साम्राज्य के पतन का मार्ग प्रशस्त किया।
- ब्रिटिश शासन का विस्तार: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पंजाब पर अपना नियंत्रण मजबूत किया और ब्रिटिश शासन का विस्तार हुआ।
मुल्तान की घेराबंदी, ब्रिटिश साम्राज्यवाद और सिख साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस युद्ध ने ब्रिटिश शासन को मजबूत किया और सिख साम्राज्य के पतन का प्रतीक था।
The siege of Multan began on 19 April 1848 and lasted until 22 January 1849, and saw fighting around Multan between the British East India Company and the Sikh Empire. It began with a rebellion against a ruler imposed by the East India Company, which precipitated the Second Anglo-Sikh War, and ended when the last defenders of the city surrendered to British forces.