Aranatha

अरनाथ

Aranatha

()

Summary
Info
Image
Detail

Summary

अरनाथ: जैन धर्म के अठारहवें तीर्थंकर

अरनाथ जैन धर्म के वर्तमान अवसर्पिणी काल के अठारहवें तीर्थंकर थे। वे आठवें चक्रवर्ती सम्राट और तेरहवें कामदेव भी थे। जैन मान्यताओं के अनुसार, उनका जन्म लगभग 1,65,85,000 ईसा पूर्व हुआ था। वे एक सिद्ध हुए, अर्थात एक मुक्त आत्मा जिन्होंने अपने सभी कर्मों को नष्ट कर दिया था।

जन्म और प्रारंभिक जीवन:

  • अरनाथ का जन्म इक्ष्वाकु वंश के राजा सुदर्शन और रानी देवी (मित्रा) के यहाँ हस्तिनापुर में हुआ था।
  • उनका जन्म भारतीय कैलेंडर के अनुसार मिगसर कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को हुआ था।

चक्रवर्ती सम्राट:

  • अरनाथ एक शक्तिशाली और न्यायप्रिय राजा बने।
  • उन्होंने सम्पूर्ण पृथ्वी पर विजय प्राप्त की और चक्रवर्ती सम्राट कहलाए।
  • उनके पास सात रत्न थे: चक्र, छत्र, रथ, घोड़ा, रानी, ​​कोष और सेनापति।

दीक्षा और कैवल्य:

  • राजसी वैभव का त्याग करके, अरनाथ ने संसार से विरक्ति धारण की और दीक्षा ग्रहण की।
  • उन्होंने कठोर तपस्या और साधना की और अंततः कैवल्य (मोक्ष) प्राप्त किया।

शिक्षाएँ:

  • अरनाथ ने जैन धर्म के सिद्धांतों का प्रचार किया, जिसमें अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह शामिल हैं।
  • उन्होंने लोगों को कर्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पाने का मार्ग दिखाया।

महत्व:

  • जैन धर्म में अरनाथ को एक महान तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है।
  • उनके जीवन और शिक्षाएँ भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और मुक्ति प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती हैं।

नोट: इस विवरण में कुछ जानकारी का अभाव हो सकता है, क्योंकि विकिपीडिया सामग्री खाली थी।


Aranath(Arnath) was the eighteenth Jain Tirthankar of the present half cycle of time (Avasarpini). He was also the eighth Chakravartin and thirteenth Kamadeva. According to Jain beliefs, he was born around 16,585,000 BCE. He became a siddha i.e. a liberated soul which has destroyed all of its karmas. Aranath was born to King Sudarshana and Queen Devi (Mitra) at Hastinapur in the Ikshvaku dynasty. His birth date was the tenth day of the Migsar Krishna month of the Indian calendar.



...
...
...
...
...
An unhandled error has occurred. Reload 🗙