Jainism_in_Maharashtra

महाराष्ट्र में जैन धर्म

Jainism in Maharashtra

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जैन धर्म और महाराष्ट्र : एक प्राचीन संबंध

यह बात सर्वविदित है कि जैन धर्म का महाराष्ट्र में प्राचीन काल से ही प्रभाव रहा है। एलोरा की गुफाएँ इस बात का जीता जागता प्रमाण हैं कि प्राचीन काल में महाराष्ट्र की समृद्ध धार्मिक संस्कृति में जैन धर्म का महत्वपूर्ण स्थान था।

आइए विस्तार से समझते हैं:

  • एलोरा की गुफाएँ: औरंगाबाद के पास स्थित ये गुफाएँ बौद्ध, हिन्दू और जैन धर्मों की कला और वास्तुकला का अद्भुत संगम हैं। इनमें से १२ गुफाएँ जैन धर्म को समर्पित हैं, जो ५वीं से १०वीं शताब्दी के बीच बनाई गई थीं। इन गुफाओं में भगवान महावीर और अन्य जैन तीर्थंकरों की भव्य मूर्तियाँ और नक्काशी देखने को मिलती हैं। ये गुफाएँ जैन धर्म के सिद्धांतों - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य - को भी दर्शाती हैं।

  • अन्य ऐतिहासिक साक्ष्य: एलोरा के अलावा, महाराष्ट्र में कई अन्य स्थानों पर भी प्राचीन जैन मंदिर और स्मारक मौजूद हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं - माथेरान, नासिक, कोल्हापुर और रत्नागिरी। इन स्थानों पर मिलने वाले शिलालेख और ग्रंथ यह प्रमाणित करते हैं कि प्राचीन काल में जैन धर्म का महाराष्ट्र में व्यापक प्रचार-प्रसार था।

  • आधुनिक काल में जैन धर्म: आज भी महाराष्ट्र में जैन धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ लाखों की संख्या में जैन धर्मावलंबी रहते हैं, जो अहिंसा और सदाचार के मार्ग पर चलते हुए समाज के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।


Jainism has been present in Maharashtra since ancient times. The famous Ellora Caves demonstrate that Jainism was part of a thriving religious culture in Maharashtra in premodern times.



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