Jainism_in_Southeast_Asia

दक्षिण पूर्व एशिया में जैन धर्म

Jainism in Southeast Asia

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जैन धर्म और दक्षिण पूर्व एशिया: एक विस्तृत नज़र

जैन ग्रंथों में दक्षिण पूर्व एशिया के विभिन्न क्षेत्रों का उल्लेख मिलता है। सम्राट सम्प्रति के शासनकाल के दौरान, जैन आचार्यों को दक्षिण पूर्व एशिया के विभिन्न देशों में भेजा गया था। इसका उद्देश्य जैन धर्म का प्रचार-प्रसार करना और वहाँ के लोगों को जैन धर्म की शिक्षाओं से अवगत कराना था।

भारत से कई प्रख्यात जैन हस्तियाँ, जैसे कि जैन मुनि क्षुल्लक प्रयत्न सागर, दक्षिण पूर्व एशिया का दौरा कर चुके हैं। इन दौरों के पीछे कई उद्देश्य थे:

  • जैन धर्म का प्रतिनिधित्व: जैन धर्म के सिद्धांतों और दर्शन को वहाँ के लोगों तक पहुँचाना।
  • स्थानीय जैन समुदाय का मार्गदर्शन: दक्षिण पूर्व एशिया में बसे जैन समुदाय को धार्मिक मार्गदर्शन प्रदान करना और उनके प्रश्नों का समाधान करना।
  • अन्य धर्मों के अनुयायियों से संवाद: बौद्ध धर्म जैसे अन्य धर्मों के अनुयायियों से संवाद स्थापित करना और आपसी समझ को बढ़ावा देना।

यह स्पष्ट है कि जैन धर्म का दक्षिण पूर्व एशिया के साथ एक प्राचीन और महत्वपूर्ण संबंध रहा है। जैन धर्म के प्रचार-प्रसार और आपसी सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने दोनों क्षेत्रों को समृद्ध किया है।


There are references in Jain texts to various areas of Southeast Asia. During the reign of Samprati, Jain teachers were sent to various Southeast Asian countries.



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