
अस्तित्व के तीन चिह्न
Three marks of existence
(Buddhist concept; consists of impermanence (anicca), suffering (dukkha), and non-self (anattā))
Summary
बुद्ध धर्म में अस्तित्व के तीन लक्षण : अनित्य, दुःख और अनात्म
बौद्ध धर्म में, अस्तित्व के तीन लक्षण सभी प्रकार के अस्तित्व और प्राणियों के तीन मूलभूत गुणधर्मों का वर्णन करते हैं। ये तीन लक्षण हैं:
अनित्य (Pali: anicca, Sanskrit: अनित्य): इसका अर्थ है अस्थायित्व या क्षणभंगुरता। बौद्ध धर्म के अनुसार, हमारे आसपास की हर चीज़, चाहे वो भौतिक हो या मानसिक, लगातार बदल रही है। कुछ भी स्थिर या स्थायी नहीं है, सब कुछ अनित्य है।
विस्तार से: यह विचार हमारे जीवन के हर पहलू पर लागू होता है। हमारे शरीर, भावनाएँ, विचार, रिश्ते, यहाँ तक कि पूरी दुनिया भी निरंतर परिवर्तन की स्थिति में है। जो आज है, वह कल नहीं रहेगा। इस सत्य को समझना हमें जीवन की अनिश्चितता को स्वीकार करने और वर्तमान क्षण को महत्व देने में मदद करता है।
दुःख (Pali: dukkha, Sanskrit: दुःख): इसका अर्थ है कष्ट, असंतोष या बेचैनी। यह दुख केवल शारीरिक या मानसिक पीड़ा तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन की एक अंतर्निहित स्थिति है जो अनित्यता से उत्पन्न होती है।
विस्तार से: क्योंकि सब कुछ अनित्य है, इसलिए हम जिस भी चीज़ से लगाव रखते हैं, उससे बिछुड़ना तय है। यह बिछुड़ना हमें दुख पहुंचाता है। यहां तक कि सुखद अनुभव भी क्षणिक होते हैं और उनका अंत दुखद होता है। बौद्ध धर्म हमें दुख के कारणों को समझने और उनसे मुक्ति पाने का मार्ग दिखाता है।
अनात्म (Pali: anattā, Sanskrit: अनात्म): इसका अर्थ है स्थायी आत्मा का अभाव। बौद्ध धर्म के अनुसार, कोई भी चीज़ या व्यक्ति एक स्थायी, अपरिवर्तनशील आत्मा या "मैं" नहीं है। हमारे अस्तित्व का अनुभव पाँच समूहों (स्कंध) के अस्थायी मिलन से होता है: रूप, वेदना, संज्ञा, संस्कार और विज्ञान।
विस्तार से: हमारे अंदर जो कुछ भी है, वह अनित्य और परिवर्तनशील है। हम लगातार बदलते रहते हैं, इसलिए कोई भी स्थायी "मैं" या आत्मा नहीं है जो समय के साथ अपरिवर्तित रहती है। इस सत्य को समझना हमें स्वार्थ और अहंकार से मुक्ति दिलाता है।
महत्व:
अस्तित्व के ये तीन लक्षण बौद्ध धर्म की नींव हैं। चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग जैसे महत्वपूर्ण बौद्ध सिद्धांत इन्हीं तीन लक्षणों पर आधारित हैं। इन तीनों सत्यों को समझकर और स्वीकार करके ही हम दुख से मुक्ति पा सकते हैं और निर्वाण प्राप्त कर सकते हैं।