Avatsara

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Avatsara

(Sage in Hinduism)

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अवत्सार ऋषि: ऋग्वेद में एक महान ऋषि

अवत्सार एक ऋषि (महान ऋषि) थे जो ऋग्वेद में प्रसिद्ध हैं। उनका नाम सबसे पहले ऋग्वेद के पाँचवें मंडल के ४४वें सूक्त में आता है।

विवरण:

ऋग्वेद के पाँचवें मंडल के ४४वें सूक्त में, अवत्सार ऋषि ने देवता इंद्र की स्तुति की है। उन्होंने इंद्र की शक्ति, साहस और युद्ध में विजय का गुणगान किया है। इस सूक्त में, अवत्सार ऋषि ने इंद्र से अनुरोध किया है कि वह अपने शत्रुओं को पराजित करें और अपने भक्तों की रक्षा करें।

महत्व:

अवत्सार ऋषि का नाम ऋग्वेद में केवल एक ही सूक्त में आता है, फिर भी वे एक महत्वपूर्ण ऋषि माने जाते हैं। उनकी स्तुति इंद्र की महानता और शक्ति का प्रमाण है।

अन्य जानकारी:

  • अवत्सार ऋषि के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।
  • उनके बारे में कुछ विद्वानों का मानना है कि वे किसी अन्य ऋषि के वंशज थे।
  • अवत्सार ऋषि का नाम "अवत्सार" का अर्थ "छोटा", "कम" या "अल्प" होता है।

निष्कर्ष:

अवत्सार ऋषि एक महत्वपूर्ण ऋषि थे जिन्होंने ऋग्वेद में इंद्र की स्तुति की थी। उनके नाम और कार्यों से हम ऋग्वेद के समय के ऋषियों के जीवन और सोच को समझ सकते हैं।


Avatsara is a rishi (sage) featured in the Rigveda. His name first appears in Sukta 44 of the Fifth Mandala.



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