Nandavarta

नंदावर्त

Nandavarta

(One of the eight auspicious symbols of Jainism for the Svetambara sect)

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नन्दावर्त: जैन धर्म का एक शुभ प्रतीक

नन्दावर्त या नन्द्यावर्त जैन धर्म के आठ शुभ प्रतीकों (अष्टमंगल) में से एक है, खासकर श्वेताम्बर संप्रदाय में। यह पूजा के लिए उपयोग किया जाता है और चावल के दानों से बनाया जा सकता है।

नन्दावर्त का आकार:

यह प्रतीक चार भुजाओं वाला होता है, और प्रत्येक भुजा में अनिवार्य रूप से 9 कोने या मोड़ होते हैं। कुल मिलाकर, नन्दावर्त में 36 कोने होते हैं जो जीवन के 36 गुणों का प्रतीक माने जाते हैं।

नन्दावर्त का महत्व:

  • श्वेताम्बर परंपरा: श्वेताम्बर परंपरा में, नन्दावर्त 18वें तीर्थंकर अरनाथ का प्रतीक है।
  • दिगंबर परंपरा: दिगंबर परंपरा में, यह 7वें तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ का प्रतीक है।

नन्दावर्त का अर्थ:

नन्दावर्त का अर्थ "आनंद का चक्र" या "आनंद का भंवर" है। यह प्रतीक आत्मा की मुक्ति और अनंत आनंद की प्राप्ति का प्रतीक है। यह जैन धर्म के मुख्य सिद्धांतों - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह - के पालन से प्राप्त होने वाले आनंद का भी प्रतीक माना जाता है।

नन्दावर्त का उपयोग:

  • जैन मंदिरों में पूजा के दौरान नन्दावर्त का उपयोग किया जाता है।
  • जैन धर्मावलंबी अपने घरों में भी नन्दावर्त को शुभ प्रतीक मानते हैं और इसे घर के मंदिर या पूजा स्थल पर रखते हैं।
  • कुछ जैन धर्मावलंबी अपने शरीर पर नन्दावर्त का टैटू भी बनवाते हैं।

नन्दावर्त जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण प्रतीकों में से एक है और यह आत्मा की मुक्ति और अनंत आनंद की प्राप्ति का प्रतीक है।


The Nandavarta or Nandyavarta is one of the eight auspicious symbols of Jainism for the Svetambara sect. It is an ashtamangala which is used for worship, and could be made with rice grains. It is also the symbol of 18th tirthankara Aranatha according to Śvētāmbara tradition and 7th tirthankara Suparshvanatha according to the Digambara tradition. The symbol has 4 arms with compulsorily 9 corners/ turns each.



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