
राजस्थान में जैन धर्म
Jainism in Rajasthan
()
Summary
Info
Image
Detail
Summary
राजस्थान में जैन धर्म: एक विस्तृत विवरण (Jainism in Rajasthan: A Detailed Description)
राजस्थान, भारत का एक पश्चिमी राज्य, ऐतिहासिक रूप से जैन धर्म से गहराई से जुड़ा हुआ है। यहां जैन धर्म की दोनों प्रमुख शाखाओं - श्वेताम्बर और दिगंबर - का प्रभाव रहा है।
श्वेताम्बर जैन धर्म (Svetambara Jainism):
- दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान श्वेताम्बर जैन धर्म का प्रमुख केंद्र रहा है।
- यहाँ माउंट आबू जैसे पवित्र तीर्थस्थल स्थित हैं।
- श्वेताम्बर परंपरा में सफेद वस्त्र धारण करने की प्रथा है।
दिगंबर जैन धर्म (Digambara Jainism):
- उत्तरी और पूर्वी राजस्थान दिगंबर जैन धर्म के मुख्य केंद्र रहे हैं।
- दिगंबर परंपरा में साधु और साध्वी अहिंसा के उच्चतम रूप का पालन करते हुए वस्त्र धारण नहीं करते हैं।
तेरापंथ (Terapanth):
- मध्य और उत्तरी राजस्थान श्वेताम्बर जैन धर्म के तेरापंथ संप्रदाय के मुख्य केंद्र हैं।
- तेरापंथ संप्रदाय की स्थापना 18 वीं शताब्दी में हुई थी।
- यह संप्रदाय अपने सामाजिक कार्यों के लिए जाना जाता है।
राजस्थान में अनेक भव्य जैन मंदिर स्थित हैं जो अपनी स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर हैं:
- दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Temples), माउंट आबू: श्वेताम्बर जैन धर्म के पांच शानदार मंदिरों का समूह, जो अपनी बारीक नक्काशी के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
- रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Temple): पाली जिले में स्थित यह मंदिर अपनी विशालता और 1444 स्तंभों पर बनी अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
- श्री महावीरजी (Shri Mahavirji): करौली जिले में स्थित यह दिगंबर जैन तीर्थस्थल भगवान महावीर को समर्पित है।
राजस्थान की संस्कृति, कला, और परंपराओं पर जैन धर्म का गहरा प्रभाव रहा है।
Rajasthan, a state in western India, has had a close historical connection with Jainism. Southwestern Rajasthan was the main centre for Svetambara Jainism. Major Digambara centres are in the northern and eastern parts of Rajasthan. Central and Northern Rajasthan are the main centres for the Terapanth sect of Svetambara Jainism.