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भारत में प्रवाल भित्तियाँ

Coral reefs in India

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भारत में प्रवाल भित्तियाँ: विस्तृत विवरण


भारत में प्रवाल भित्तियाँ, देश की सबसे प्राचीन और गतिशील पारिस्थितिक तंत्रों में से एक हैं। ये न केवल असंख्य समुद्री जीवों को आश्रय प्रदान करती हैं, बल्कि तटरेखा के कटाव से रक्षा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत की तटरेखा लगभग 7517 किलोमीटर लंबी है जिसमें द्वीप भी शामिल हैं, लेकिन मुख्य भूमि तट 6100 किलोमीटर है।


भारत में प्रवाल भित्तियाँ मुख्य रूप से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मन्नार की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, पाक जलडमरूमध्य और लक्षद्वीप द्वीप समूह तक सीमित हैं। लक्षद्वीप को छोड़कर, जो प्रवाल भित्तियाँ हैं, ये सभी परिसीमांत प्रवाल भित्तियाँ (Fringing reefs) हैं। लक्षद्वीप में एटोल (Atolls) प्रकार की प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं। पश्चिमी मध्य तट के अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों, जैसे रत्नागिरी, गावेशनी बैंक आदि के अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों में छितरी हुई प्रवाल (Patchy corals) भी मौजूद हैं। केरल के कोल्लम से तमिलनाडु के एनायम पुथेनथुरई तक समुद्र तट के किनारे हर्मेटिपिक प्रवाल (Hermatypic corals) भी पाए जाते हैं।


अधिक विस्तार से:

  • प्रकार: भारत में मुख्यतः परिसीमांत प्रवाल भित्तियाँ (Fringing reefs) और एटोल (Atolls) पाई जाती हैं। परिसीमांत प्रवाल भित्तियाँ तटरेखा के समानांतर विकसित होती हैं जबकि एटोल, लैगून के चारों ओर एक वलय के रूप में बनते हैं। छितरी हुई प्रवाल भित्तियाँ (Patch reefs) भी पाई जाती हैं जो अलग-अलग स्थानों पर छोटे-छोटे समूहों में होती हैं।

  • स्थान: प्रवाल भित्तियों का वितरण कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें पानी का तापमान, लवणता, पानी की स्पष्टता और पोषक तत्वों की उपलब्धता शामिल हैं। उपरोक्त स्थानों के अलावा, कुछ छोटे-छोटे प्रवाल भित्ति क्षेत्र अन्य तटीय क्षेत्रों में भी पाए जा सकते हैं, लेकिन उनका आकार और विस्तार सीमित है।

  • जैव विविधता: भारतीय प्रवाल भित्तियाँ जैव विविधता से भरपूर हैं। इनमें विभिन्न प्रकार की मछलियाँ, घोंघे, केकड़े, समुद्री अर्चिन, समुद्री घास और अन्य समुद्री जीव निवास करते हैं। ये प्रवाल भित्तियाँ कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का भी घर हैं।

  • खतरे: भारतीय प्रवाल भित्तियाँ कई खतरों का सामना कर रही हैं, जिनमें जल प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ना, तटीय विकास, जलवायु परिवर्तन और कोरल ब्लीचिंग शामिल हैं। इन खतरों से प्रवाल भित्तियों के स्वास्थ्य और जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। इनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।


संक्षेप में, भारत की प्रवाल भित्तियाँ न केवल समुद्री जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि देश की तटीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इनकी रक्षा करना हमारे लिए आवश्यक है।


Coral reefs in India are one of the most ancient and dynamic ecosystems of India. The coral reefs not only provide a sanctuary to a myriad of marine life but also play a key role in protecting the coastline from erosion. India has about 7517 km of coastline including islands but mainland coast is 6100 km.



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