
गच्चा
Gaccha
(Order of followers of the Murtipujaka Svetambara sect of Jainism)
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गच्छ: जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
"गच्छ" जैन धर्म के एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक ढांचे को दर्शाता है, जिसका संबंध विशेष रूप से श्वेताम्बर संप्रदाय से है। यह शब्द दिगंबर संप्रदाय में भी प्रयोग होता है।
श्वेताम्बर संप्रदाय में गच्छ:
- मूर्तिपूजक श्वेताम्बर: श्वेताम्बर संप्रदाय का वह भाग जो तीर्थंकरों की मूर्तियों की पूजा करता है, उसे मूर्तिपूजक श्वेताम्बर कहा जाता है। गच्छ इसी शाखा से जुड़ा हुआ है।
- साधु और श्रावक: हर गच्छ में जैन साधु (भिक्षु) और श्रावक (गृहस्थ अनुयायी) दोनों होते हैं।
- आचार्य: प्रत्येक गच्छ का नेतृत्व एक आचार्य करते हैं, जो धार्मिक ज्ञान और आचरण में पारंगत होते हैं।
- उपदेश और मार्गदर्शन: आचार्य अपने अनुयायियों को जैन धर्म के सिद्धांतों, नीतियों और आचरण का उपदेश और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- पारस्परिक सहयोग: गच्छ के सदस्य, साधु और श्रावक, एक-दूसरे को धार्मिक और सामाजिक स्तर पर सहयोग प्रदान करते हैं।
दिगंबर संप्रदाय में गच्छ:
- दिगंबर संप्रदाय में गच्छ का अर्थ श्वेताम्बर संप्रदाय से थोड़ा भिन्न होता है।
- यहाँ यह शब्द उन साधुओं के समूह के लिए प्रयोग होता है जो एक ही आचार्य के शिष्य होते हैं और समान मान्यताओं और आचार संहिता का पालन करते हैं।
महत्व:
- गच्छ जैन धर्म के संगठन और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- ये धार्मिक शिक्षा, मार्गदर्शन और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देते हैं।
- विभिन्न गच्छों के बीच मतभेद होने के बावजूद, वे सभी जैन धर्म के मूल सिद्धांतों का पालन करते हैं।
Gaccha, alternatively spelled as Gachchha, is a monastic order, along with lay followers, of the image worshipping Murtipujaka Svetambara sect of Jainism. The term is also used in the Digambara sect.