
मार्कण्डेय
Markandeya
(Sage in Hindu scriptures)
Summary
मार्कण्डेय ऋषि : एक विस्तृत विवरण
मार्कण्डेय (संस्कृत: मार्कण्डेय, रोमन लिपि में: Mārkaṇḍeya) हिंदू धर्म ग्रंथों में एक महत्वपूर्ण ऋषि (महान संत) हैं। वे ऋषि मृकंड और उनकी पत्नी मनास्विनी के पुत्र थे।
मार्कण्डेय पुराण (हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक) का श्रेय ऋषि मार्कण्डेय को दिया जाता है। यह पुराण ऋषि मार्कण्डेय और ऋषि जैमिनी के बीच संवाद के रूप में लिखा गया है। भगवत पुराण में भी कई अध्याय हैं जो ऋषि मार्कण्डेय के वार्तालाप और प्रार्थनाओं को समर्पित हैं। महाभारत में भी उनका उल्लेख मिलता है।
मार्कण्डेय सभी मुख्य हिंदू परंपराओं में पूजनीय हैं।
मार्कण्डेय पुराण में, ऋषि मार्कण्डेय अपने जीवनकाल के बारे में बताते हैं।
- वे कठोर तपस्या करते थे और भगवान शिव की कृपा प्राप्त की थी।
- एक बार यमराज (मृत्यु के देवता) मार्कण्डेय को लेने आए थे, लेकिन ऋषि मार्कण्डेय ने यमराज को भगवान शिव की शरण में जाने के लिए कहा था।
- यमराज भगवान शिव के पास गए और शिव ने यमराज को ऋषि मार्कण्डेय को मृत्यु से बचा लिया।
- ऋषि मार्कण्डेय को भगवान शिव का वरदान मिला था कि वह हमेशा युवा और स्वस्थ रहेंगे।
मार्कण्डेय की कहानी मृत्यु और जीवन की अनिश्चितता को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण कहानी है। यह कहानी हमें भगवान शिव की कृपा और तपस्या के महत्व को समझने में मदद करती है।
मार्कण्डेय को कई मंदिरों में पूजा जाता है। भारत में कई स्थानों पर मार्कण्डेय ऋषि के मंदिर हैं।
मार्कण्डेय हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण ऋषि हैं और उनकी कहानियां आज भी प्रेरणादायक हैं।