Five_thieves

पांच चोर

Five thieves

(In Sikhism, five major weaknesses of the human personality at variance with its spiritual essence)

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पांच चोर: सिख धर्म में पाँच प्रमुख दुर्गुण

सिख धर्म में, पांच चोर (पंजाबी: ਪੰਜ ਚੋਰ, उच्चारण: [pand͡ʒ t͡ʃoɝ]) जिन्हें पाँच बुराइयाँ या पाँच विकार भी कहा जाता है, मानवीय व्यक्तित्व की पाँच प्रमुख कमजोरियाँ हैं जो इसके आध्यात्मिक सार के विपरीत हैं। इन्हें "चोर" इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये व्यक्ति के जन्मजात सामान्य ज्ञान को चुरा लेते हैं। ये पाँच चोर हैं: काम (कामवासना), क्रोध (क्रोध), लोभ (लालच), मोह (मोह/आसक्ति), और अहंकार (अहंकार या अत्यधिक घमंड)।

आइए इन पाँच चोरों को विस्तार से समझते हैं:

  • काम (कामवासना): यह केवल शारीरिक इच्छाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि किसी भी प्रकार की अत्यधिक इच्छा, चाहे वह भौतिक वस्तुओं की हो या किसी अन्य व्यक्ति के प्रति हो, काम के अंतर्गत आता है। यह संयम और आत्म-नियंत्रण की कमी को दर्शाता है, जिससे व्यक्ति अपने कर्तव्यों और आध्यात्मिक विकास से विचलित हो जाता है। अत्यधिक कामवासना व्यक्ति को नकारात्मक कार्यों की ओर ले जा सकती है और उसके आध्यात्मिक विकास में बाधा डाल सकती है।

  • क्रोध (क्रोध): यह एक विनाशकारी भावना है जो व्यक्ति को नकारात्मक विचारों और कार्यों की ओर ले जाती है। क्रोध से व्यक्ति का निर्णय बिगड़ जाता है और वह गलत काम करने लगता है। यह मन की शांति को नष्ट करता है और अन्य लोगों के साथ संबंधों को खराब करता है। सिख धर्म में, क्रोध को नियंत्रित करना और शांति बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • लोभ (लालच): यह अधिक से अधिक पाने की असीमित इच्छा है, संतुष्टि की कमी। लोभ धन, संपत्ति, शक्ति या किसी अन्य भौतिक चीज़ के लिए हो सकता है। यह व्यक्ति को लालची, ईर्ष्यालु और अनैतिक बनाता है। लोभ आध्यात्मिक विकास में बड़ी बाधा डालता है क्योंकि यह व्यक्ति को स्वार्थी और दूसरों के प्रति उदासीन बनाता है।

  • मोह (मोह/आसक्ति): यह किसी व्यक्ति, वस्तु या विचार से अत्यधिक लगाव है। यह लगाव इतना गहरा हो जाता है कि व्यक्ति उससे अलग होने का विचार भी नहीं कर सकता। यह लगाव व्यक्ति को दुख और पीड़ा देता है, क्योंकि जिससे वह जुड़ा हुआ है, उसका अंत अनिवार्य है। मोह व्यक्ति को आध्यात्मिक मुक्ति से रोकता है।

  • अहंकार (अहंकार या अत्यधिक घमंड): यह स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ मानने की भावना है। अहंकार व्यक्ति को अभिमानी, आत्म-केंद्रित और दूसरों के प्रति असंवेदनशील बनाता है। यह आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक विकास में बाधा डालता है, क्योंकि यह व्यक्ति को सच्चाई और अपने दोषों को स्वीकार करने से रोकता है।

इन पाँच चोरों से मुक्ति पाकर ही व्यक्ति सच्ची आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त कर सकता है और गुरु की शिक्षाओं का पालन करके, ध्यान और प्रार्थना द्वारा इनका विरोध किया जा सकता है। सिख धर्म इन चोरों को जीतने पर जोर देता है ताकि व्यक्ति ईश्वर के साथ एकता प्राप्त कर सके।


In Sikhism, the Five Thieves, also called the five evils or the five vices, are the five major weaknesses of the human personality at variance with its spiritual essence, and are known as "thieves" because they steal a person's inherent common sense. These five thieves are kaam (lust), krodh (wrath), lobh (greed), moh (attachment) and ahankar.



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