
सरहिंद की घेराबंदी
Siege of Sirhind
(1710 conflict)
Summary
सिरहिंद का घेराव: 1710 में एक खूनी संघर्ष
साल 1710 में, सिरहिंद शहर पर मुगल साम्राज्य और सिख सेनाओं के बीच एक भयानक लड़ाई लड़ी गई थी। सिख सेना ने चप्पर चिड़ी की लड़ाई में वज़ीर खान को हराकर उसे मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद उन्होंने सिरहिंद पर घेरा डाल दिया।
सिरहिंद का महत्व: सिरहिंद शहर पंजाब में एक महत्वपूर्ण सैन्य और व्यापारिक केंद्र था। मुगल साम्राज्य के लिए यह एक महत्वपूर्ण सैन्य चौकी भी थी। सिखों के लिए, सिरहिंद एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र था, क्योंकि यहां गुरु गोबिंद सिंह के दो छोटे पुत्रों, ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह को 1705 में मुगल अधिकारियों ने मार डाला था।
सिखों का घेराव: चप्पर चिड़ी की जीत के बाद, सिख सेना ने सिरहिंद शहर पर घेरा डाल दिया। सिखों ने शहर के चारों ओर एक मजबूत घेरा बनाया, सभी प्रवेश द्वारों को अवरुद्ध कर दिया, और शहर को बाहर से घेर लिया। सिखों का नेतृत्व बहादुर शाह ने किया था, जो गुरु गोबिंद सिंह के शिष्य थे और एक कुशल सेनापति थे।
सिरहिंद की पतन: सिख सेना ने सिरहिंद के मुगल गढ़ पर लगातार हमले किए। उन्होंने गढ़ की दीवारों पर तोपखाने का प्रयोग किया और तलवारों और भालों से लड़ाई लड़ी। सिरहिंद के मुगल गवर्नर, वज़ीर खान के सैनिकों में हार का साफ-साफ डर दिखाई दे रहा था। सिख सेना की ताकत और साहस के सामने मुगल गढ़ गिर गया।
सिरहिंद का विनाश: सिखों ने सिरहिंद शहर पर कब्जा कर लिया, और उन्होंने शहर को लूट लिया। शहर में व्यापक हिंसा और नरसंहार हुआ। सिखों ने सिरहिंद को जला दिया और उसे धराशायी कर दिया।
परिणाम: सिरहिंद का घेराव सिखों के लिए एक बड़ी जीत थी। इससे सिखों के बीच विश्वास बढ़ा और मुगल साम्राज्य की कमजोरी का प्रदर्शन हुआ। यह युद्ध सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, और इसने सिख साम्राज्य के निर्माण की नींव रखी।