
सुदर्शन चक्र
Sudarshana Chakra
(Discus weapon used by Vishnu)
Summary
सुदर्शन चक्र: विष्णु का दिव्य अस्त्र
सुदर्शन चक्र, हिंदू धर्म ग्रंथों में विष्णु का एक दिव्य अस्त्र है। इसका नाम संस्कृत में "सुदर्शनचक्र" है।
विष्णु की चार भुजाओं में सुदर्शन चक्र को आमतौर पर दाहिने हाथ में दर्शाया जाता है। विष्णु के बाएं हाथ में पंचजन्या (शंख), दाहिने हाथ में कौमोदकी (गदा), और बाएं हाथ में पद्म (कमल) होता है।
ऋग्वेद में, सुदर्शन चक्र को समय के चक्र के रूप में विष्णु का प्रतीक बताया गया है। समय के चक्र के रूप में, यह ब्रह्मांड के नियमित क्रियाकलापों और जीवन-मृत्यु चक्र का प्रतीक है।
बाद में, सुदर्शन चक्र, राक्षसों के विनाश के लिए विष्णु के क्रोधित रूप में, एक अयुधपुरुष (एक मानवरूपी रूप) के रूप में उभरा। अयुधपुरुष रूप में, इस देवता को "चक्रपेरुमल" या "चक्रतालवार" कहा जाता है।
सुदर्शन चक्र का महत्व:
- विनाश का प्रतीक: सुदर्शन चक्र विनाश का प्रतीक है, विशेषकर उन राक्षसों का जो धर्म और सदाचार के विरुद्ध काम करते हैं।
- न्याय का प्रतीक: यह धर्म और न्याय का प्रतीक भी है, क्योंकि यह पापियों को दंडित करने और अच्छे लोगों की रक्षा करने के लिए विष्णु का दिव्य हथियार है।
- समय का प्रतीक: सुदर्शन चक्र समय के चक्र का प्रतीक है, जो लगातार घूमता रहता है, जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र को दर्शाता है।
हिंदू धर्म में:
सुदर्शन चक्र को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में देखा जाता है, जो शक्ति, न्याय और विनाश को दर्शाता है। यह विष्णु के महत्वपूर्ण गुणों को दर्शाता है, जिनमें से शक्ति, संरक्षण और न्याय प्रमुख हैं।