
बौद्ध समाजवाद
Buddhist socialism
(Socialism based on the principles of Buddhism)
Summary
बौद्ध समाजवाद: एक विस्तृत व्याख्या
"बौद्ध समाजवाद" एक राजनीतिक विचारधारा है जो बौद्ध धर्म के सिद्धांतों पर आधारित समाजवाद की वकालत करती है। बौद्ध धर्म और समाजवाद, दोनों ही दुखों के अंत की कामना करते हैं। वे ऐसा दुखों के कारणों का विश्लेषण करके और उनके मूल कारणों को व्यावहारिक तरीकों से दूर करके करते हैं। दोनों ही व्यक्तिगत चेतना (क्रमशः आध्यात्मिक और राजनीतिक) के परिवर्तन पर जोर देते हैं ताकि मानव अलगाव और स्वार्थ को समाप्त किया जा सके।
बौद्ध समाजवाद के मुख्य सिद्धांत:
- करुणा और अहिंसा: बौद्ध धर्म सभी प्राणियों के प्रति करुणा और अहिंसा पर जोर देता है। बौद्ध समाजवाद भी इन मूल्यों को अपनाता है और शोषण और हिंसा से मुक्त समाज की वकालत करता है।
- समानता और सामाजिक न्याय: बौद्ध धर्म में सभी मनुष्यों को समान माना जाता है। बौद्ध समाजवाद भी सभी के लिए समानता और सामाजिक न्याय की वकालत करता है, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।
- सामूहिकता और सहयोग: बौद्ध धर्म व्यक्तिवाद के बजाय सामूहिकता और सहयोग पर जोर देता है। बौद्ध समाजवाद भी प्रतिस्पर्धा और स्वार्थ पर आधारित पूंजीवादी व्यवस्था के विपरीत एक सहयोगी समाज की स्थापना का समर्थन करता है।
- सरल जीवन और संतोष: बौद्ध धर्म भौतिक सुखों के प्रति आसक्ति को दुखों का मूल कारण मानता है। बौद्ध समाजवाद भी सरल जीवन जीने और संतोष की भावना विकसित करने पर जोर देता है।
प्रमुख बौद्ध समाजवादी विचारक:
कई प्रमुख हस्तियों को बौद्ध समाजवादी माना जाता है, जिनमें शामिल हैं:
- बुद्धदासा भिक्खु: थाईलैंड के एक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु जिन्होंने पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों की आलोचना की और "धम्म समाजवाद" की वकालत की।
- भीमराव आंबेडकर: भारत के संविधान निर्माता जिन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया और जाति व्यवस्था के उन्मूलन और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया।
- सोलोमन वेस्ट रिडवे डायस बंदारनाइके: श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री जिन्होंने बौद्ध समाजवाद को राष्ट्रीय नीति के रूप में अपनाया।
- हान योंग-उन: कोरियाई बौद्ध भिक्षु और कवि जिन्होंने जापानी उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष किया और कोरियाई राष्ट्रवाद और समाजवाद का समर्थन किया।
- गिरो सेनो: जापानी बौद्ध भिक्षु और शांति कार्यकर्ता जिन्होंने युद्ध-विरोध और परमाणु निरस्त्रीकरण का समर्थन किया।
बौद्ध समाजवाद का प्रभाव:
बौद्ध समाजवाद का थाईलैंड, श्रीलंका और म्यांमार जैसे देशों में खासा प्रभाव रहा है। इन देशों में बौद्ध समाजवादी विचारों ने सरकारों की नीतियों और सामाजिक आंदोलनों को प्रभावित किया है।