
चप्पर चिरी का युद्ध
Battle of Chappar Chiri
(1710 conflict)
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चप्पर चिड़ी का युद्ध: सिखों की विजय
चप्पर चिड़ी का युद्ध, जिसे सरहिंद का युद्ध भी कहा जाता है, मुगल साम्राज्य और सिखों के बीच 12 मई 1710 को चप्पर चिड़ी में लड़ा गया था। चप्पर चिड़ी सरहिंद से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है।
यह युद्ध मुगल साम्राज्य और सिखों के बीच लंबे समय से चल रहे संघर्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। मुगल बादशाह औरंगजेब ने सिखों के धार्मिक नेता गुरु गोबिंद सिंह को सताया था और उनके कई अनुयायियों को मार डाला था।
युद्ध का कारण:
- गुरु गोबिंद सिंह की हत्या का बदला लेने के लिए सिखों ने मुगलों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था।
- मुगल शासन के अत्याचारों से मुक्त होने के लिए सिखों ने अपनी स्वतंत्रता का दावा किया था।
युद्ध का विवरण:
- युद्ध का नेतृत्व सिख सरदार बंदा सिंह बहादुर ने किया था, जिन्होंने मुगलों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एक बड़ी सिख सेना तैयार की थी।
- मुगल सेना का नेतृत्व वज़ीर खान ने किया था, जो एक अनुभवी सैन्य कमांडर था।
- युद्ध में सिख सैनिकों ने अदम्य साहस और बहादुरी दिखाई, जिससे वे मुगल सेना को हराने में सफल रहे।
- सिख सेना में महिलाओं और बच्चों ने भी भाग लिया, जो उनके दृढ़ संकल्प और साहस का प्रतीक था।
- मुगल सेना को भारी नुकसान हुआ, और वज़ीर खान की भी हत्या कर दी गई।
युद्ध का परिणाम:
- चप्पर चिड़ी का युद्ध सिखों की जीत में समाप्त हुआ। इस जीत ने सिखों के साहस और बहादुरी का लोहा मनवाया।
- इस युद्ध के बाद, सिखों ने पंजाब में अपनी शक्ति और प्रभाव को मजबूत किया।
- यह युद्ध सिख इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने सिखों को मुगलों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चप्पर चिड़ी का युद्ध सिखों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जो उनके साहस, बहादुरी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का प्रतीक है।
The Battle of Chappar Chiri, also called Battle of Sirhind, was fought between Mughal Empire and the Sikhs on 12 May 1710 at Chappar Chiri, located 20 kilometers from Sirhind.