कंकालिनी मंदिर
Kankalini Temple
(Hindu temple in Madhesh, Nepal)
Summary
कंकालिनी मन्दिर: पूर्वी नेपाल का एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ
कंकालिनी मन्दिर (नेपाली भाषा: कंकालिनी मन्दिर) पूर्वी नेपाल के सप्तरी जिले में, भारदह गाँव विकास समिति में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर और शक्तिपीठ है। यह राजविराज जिला मुख्यालय से 19 किलोमीटर पूर्व और भारत सीमा के निकट बिरपुर में स्थित है। यह मंदिर महेंद्र राजमार्ग के भारदह खंड के पास स्थित है और भारदह का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
मंदिर का महत्व:
यह मंदिर देवी कंकालिनी को समर्पित है, जिन्हें हिन्दू धर्म में एक शक्तिशाली देवी माना जाता है। कंकालिनी मंदिर को शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जिसका हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है। शक्तिपीठों में देवी सती के शरीर के अलग-अलग अंग गिरे थे, ऐसा माना जाता है और कंकालिनी मंदिर उन स्थानों में से एक है जहाँ देवी सती का कोई अंग गिरा था। इसलिए यह तीर्थस्थल भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
तिहार और बलि:
यह मंदिर विशेष रूप से दशहरा (दशैं) के दौरान भारी भीड़ आकर्षित करता है। दशहरा के अवसर पर हजारों भक्त यहाँ आते हैं और बलिदान करते हैं। मुख्य रूप से बकरियों और रंगा (एक प्रकार का पक्षी) का बलिदान किया जाता है। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है और स्थानीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पशु बलि के संबंध में विविध राय और नैतिक चिंताएं हैं।
भक्तों की भीड़:
कंकालिनी मंदिर में नेपाल और भारत दोनों देशों से भक्त आते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है। मंदिर में आने वाले भक्तों के कारण स्थानीय व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
स्थान और पहुँच:
मंदिर राजविराज से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। महेंद्र राजमार्ग के निकट होने के कारण यात्रा करना सुविधाजनक है। मंदिर के आसपास आवास और भोजन की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।
निष्कर्ष:
कंकालिनी मंदिर पूर्वी नेपाल का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यह मंदिर न केवल स्थानीय लोगों बल्कि दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र है।