Digambara_monk

दिगंबर साधु

Digambara monk

(Monk in the Digambara tradition of Jainism)

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दिगंबर साधु: जैन धर्म के त्यागी और ज्ञानी

दिगंबर साधु जैन धर्म के दिगंबर परंपरा में साधु होते हैं। जैन धर्म में चार प्रकार के संघ होते हैं और दिगंबर साधु इनमें सर्वोच्च स्थान रखते हैं।

दिगंबर साधुओं के 28 मुख्य गुण होते हैं: इनमें पांच महाव्रतों का पालन सबसे महत्वपूर्ण है:

  1. अहिंसा: किसी भी जीव को हानि न पहुँचाना।
  2. सत्य: हमेशा सच बोलना।
  3. अस्तेय: चोरी न करना।
  4. ब्रह्मचर्य: इंद्रिय निग्रह रखना।
  5. अपरिग्रह: किसी भी वस्तु का मोह न रखना।

एक दिगंबर साधु अपने पास सिर्फ तीन चीजें रख सकते हैं:

  1. मोर पंख: इससे वे धूल हटाते हैं और छोटे जीवों को बचाते हैं।
  2. कमंडल: इसमें वे पानी रखते हैं।
  3. शास्त्र: जैन धर्म के ग्रंथ जिनका अध्ययन वे करते हैं।

मोक्ष प्राप्ति के लिए त्याग: जैन धर्म में, जो श्रावक (गृहस्थ) मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करना चाहते हैं, वे अपनी सारी संपत्ति का त्याग करके साधु बन जाते हैं। जैन ग्रंथ द्रव्यसंग्रह में कहा गया है:

"उन साधुओं को नमन जो श्रद्धा और ज्ञान से परिपूर्ण हैं, जो निरंतर शुद्ध आचरण का पालन करते हैं जो निश्चित रूप से मुक्ति की ओर ले जाता है।"

निर्ग्रन्थ: दिगंबर साधुओं को निर्ग्रन्थ भी कहा जाता है जिसका अर्थ है "जो किसी भी बंधन से मुक्त हो"। यह शब्द मूल रूप से उन साधुओं के लिए प्रयोग किया जाता था जो सर्वज्ञता (सब कुछ जानने की क्षमता) प्राप्त करने वाले होते थे। सर्वज्ञता प्राप्त करने के बाद उन्हें मुनि कहा जाता था।

प्राचीन परंपरा के वाहक: ऐसा माना जाता है कि ऋषभनाथ (प्रथम तीर्थंकर) वर्तमान अवसर्पिणी काल (समय का आधा चक्र) के पहले दिगंबर साधु थे। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के ग्रीक अभिलेखों में जिमनोसोफिस्ट्स (नग्न दार्शनिक) का उल्लेख मिलता है, जो दिगंबर परंपरा की प्राचीनता का प्रमाण है।

प्रमुख दिगंबर साधु: आचार्य भद्रबाहु और आचार्य कुंदकुंद दो सबसे सम्मानित दिगंबर साधु हैं।

संक्षेप में, दिगंबर साधु जैन धर्म के त्यागी और ज्ञानी होते हैं जो मोक्ष प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या और साधना करते हैं।


A Digambara monk or Digambara Sādhu is a Sādhu in the Digambar tradition of Jainism, and as such an occupant of the highest limb of the four-fold sangha. Digambar Sādhus have 28 primary attributes which includes observance of the five supreme vows of ahimsa (non-injury), truth, non-thieving, celibacy and non-possession. A Digambar Sādhu is allowed to keep only a feather whisk, a water gourd and scripture with him.



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