Nirmala_(sect)

निर्मला (संप्रदाय)

Nirmala (sect)

(Sikh sect)

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निर्मला संप्रदाय: एक सिख संतों का समूह

"निर्मला" (पंजाबी में: "निरमले", जिसका अर्थ है "दोष रहित") एक सिख संतों का समूह है, जिसे "निर्मला संप्रदाय" या "निर्मल पंथ" के नाम से भी जाना जाता है।

परंपरागत मान्यताओं के अनुसार, संतान निर्मला सिख परंपरा की स्थापना गुरु गोबिंद सिंह ने 17वीं शताब्दी के अंत में की थी। उन्होंने पांच सिखों को वाराणसी भेजा ताकि वे संस्कृत और वेदांत ग्रंथों का अध्ययन कर सकें।

  • निर्मला संतों की मुख्य विशेषताएं:

    • संस्कृत और वेदांत का ज्ञान: निर्मला संत संस्कृत और वेदांत ग्रंथों के ज्ञाता होते हैं। वे सिख धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म के दर्शन और ग्रंथों का भी अध्ययन करते हैं।
    • तपस्या और सेवा: निर्मला संत तपस्या में लगे रहते हैं और गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करते हैं।
    • विवाह की अनुमति नहीं: निर्मला संत विवाह नहीं करते हैं।
    • सिर पर बाल रखना: निर्मला संत अपने सिर पर बाल रखते हैं।
  • निर्मला संप्रदाय का महत्व:

    • सिख धर्म की विद्वता: निर्मला संत सिख धर्म के विद्वान होते हैं और सिख दर्शन को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
    • अन्य धर्मों के साथ संवाद: निर्मला संत सिख धर्म और अन्य धर्मों के बीच संवाद को बढ़ावा देते हैं।
    • समाज सेवा: निर्मला संत समाज सेवा में लगे रहते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं।

निष्कर्ष:

निर्मला संप्रदाय सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है जो सिख दर्शन को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। वे तपस्या, सेवा और ज्ञान के माध्यम से सिख धर्म के मूल्यों को जीवित रखते हैं।


Nirmala also known as Nirmala Saṁpardā or Nirmal Paṅth, is a Sikh sect of ascetics. According to the traditional beliefs, the Sanatan Nirmala Sikh tradition was founded by Guru Gobind Singh in late 17th century when he sent five Sikhs to Varanasi to learn Sanskrit and Vedanta texts.



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