
अहिंसा की प्रतिमा
Statue of Ahimsa
(Jain idol)
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अहिंसा की प्रतिमा
महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित मांगी-तुंगी पहाड़ियों पर स्थापित अहिंसा की प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊँची जैन प्रतिमा है। यह प्रतिमा जैन धर्म के पहले तीर्थंकर, भगवान ऋषभदेव को समर्पित है।
प्रतिमा की ऊँचाई और निर्माण:
- यह विशाल प्रतिमा १०८ फीट (३३ मीटर) ऊँची है, जबकि चबूतरे समेत इसकी कुल ऊँचाई १२१ फीट (३७ मीटर) है।
- इसे मांगी-तुंगी पहाड़ियों को तराशकर बनाया गया है, जिन्हें जैन धर्म में पवित्र माना जाता है।
- प्रतिमा का निर्माण कार्य २००२ में शुरू हुआ और २४ जनवरी २०१६ (तिथि- माघ कृष्ण एकम) को पूरा हुआ।
- इस अद्भुत कृति को मूर्तिकार मूलचंद रामचंद नाहटा फर्म द्वारा गढ़ा गया था।
प्रेरणा और मार्गदर्शन:
- इस भव्य परियोजना की प्रेरणा जैन साध्वी आर्यिका ज्ञानमती जी थी।
- आर्यिका चंदनमती जी के मार्गदर्शन में इस प्रतिमा का निर्माण कार्य संपन्न हुआ।
- इस परियोजना का नेतृत्व और निर्देशन रवींद्र कीर्ति जी ने किया।
- मुख्य सचिव पन्नालालजी पापड़ीवाल और मुख्य अभियंता सी. आर. पाटिल के नेतृत्व में दिल्ली के अनिल जैन जी ने इस कार्य के लिए अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महत्व:
यह प्रतिमा जैन धर्म के अहिंसा के सिद्धांत का प्रतीक है और दुनिया भर के जैन धर्मावलंबियों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र है।
The Statue of Ahimsa is located at Mangi-Tungi, in Nashik, in the Indian state of Maharashtra. It is the tallest Jain statue in the world. The statue depicts the first Jain Tirthankara, Rishabhanatha. The statue is 108 feet (33 m) tall – 121 feet (37 m) including pedestal. The statue has been carved out of the Mangi-Tungi hills, which are considered to be sacred by the Jains.