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जैन कानून

Jain law

(Religious law in India)

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जैन कानून: विस्तृत विवरण (हिंदी)

जैन कानून, जिसे जैना कानून भी कहा जाता है, प्राचीन जैन धर्म के नियमों की आधुनिक व्याख्या है। यह जैन धर्म के अनुयायियों के लिए गोद लेने, विवाह, उत्तराधिकार और मृत्यु से सम्बंधित नियमों का संग्रह है।

आइए इन नियमों को विस्तार से समझते हैं:

  • गोद लेना: जैन धर्म में गोद लेने की प्रथा को मान्यता प्राप्त नहीं है। जैन धर्म का मानना ​​है कि कर्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति ही जीवन का परम लक्ष्य है, और गोद लेना इस लक्ष्य में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
  • विवाह: जैन धर्म विवाह को एक पवित्र बंधन मानता है। जैन धर्म में दो प्रकार के विवाह होते हैं -
    • धारण विवाह: यह विवाह माता-पिता की सहमति से होता है और इसे अधिक मान्यता प्राप्त है।
    • रक्षा विवाह: यह प्रेम विवाह है जो माता-पिता की सहमति के बिना होता है।
  • उत्तराधिकार: जैन धर्म में, संपत्ति का उत्तराधिकार पारंपरिक हिंदू कानून से अलग है। यहाँ संपत्ति पुत्रों में विभाजित नहीं होती बल्कि यह परिवार के सभी सदस्यों - पत्नी, पुत्रियों और माता-पिता - में समान रूप से विभाजित होती है।
  • मृत्यु: जैन धर्म मृत्यु को एक नई शुरुआत के रूप में देखता है। मृत्यु के बाद आत्मा एक नए शरीर में प्रवेश करती है। इस प्रक्रिया को पुनर्जन्म कहा जाता है।

संक्षेप में, जैन कानून जैन धर्म के सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों पर आधारित है। यह कानून जैन धर्म के अनुयायियों को एक नैतिक और धार्मिक जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।


Jain law or Jaina law is the modern interpretation of ancient Jain law that consists of rules for adoption, marriage, succession and death prescribed for the followers of Jainism.



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