Gritsamada

ग्रिट्समदा

Gritsamada

(Sage in the Rigveda)

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गृत्समद: ऋग्वेद के मर्मज्ञ ऋषि

गृत्समद (संस्कृत: गृत्समद) ऋग्वेद काल के एक प्रसिद्ध ऋषि थे। ऋग्वेद के दूसरे मंडल के अधिकांश सूक्तों की रचना का श्रेय उन्हें दिया जाता है। वे शुनहोत्र अंगिरस के पुत्र और शुनक भार्गव के दत्तक पुत्र थे।

वंशावली पर मतभेद:

  • विट्जेल के अनुसार, सोमाहुति भार्गव, गृत्समद के वंशज थे, क्योंकि सोमाहुति स्वयं को "गृत्समदों में से एक" बताते हैं।
  • जैमिसन और ब्रेरेटन का मत है कि सोमाहुति, गृत्समद के दत्तक पिता शुनक भार्गव के वंशज थे, जो भृगु वंश से संबंधित थे।

ऋग्वेद में गृत्समद की पहचान:

ऋग्वेद में गृत्समद रचित सूक्तों में एक विशिष्ट पंक्ति मिलती है: "हम यज्ञ-विभाजन में, वीरों से संपन्न होकर, ऊँचे स्वर में बोलें।" यह पंक्ति उनकी पहचान का प्रतीक बन गई है।

गृत्समद का विशेष योगदान:

गृत्समद को इंद्र के कार्यों को यज्ञीय कर्मकांडों से जोड़ने के लिए जाना जाता है। उनके सूक्तों में इंद्र की स्तुति के साथ-साथ यज्ञीय अनुष्ठानों के महत्व और उनके द्वारा प्राप्त होने वाले लाभों का भी वर्णन मिलता है।

सामान्य भाषा में:

ऋग्वेद काल के एक महान ऋषि थे गृत्समद। वे ऋग्वेद के दूसरे मंडल के रचयिता माने जाते हैं। उनके पिता शुनहोत्र अंगिरस थे और पालक पिता शुनक भार्गव। गृत्समद के वंश को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। ऋग्वेद में गृत्समद रचित सूक्तों में एक खास पंक्ति मिलती है जिससे उनकी पहचान होती है। गृत्समद को इंद्र के कार्यों को यज्ञ से जोड़ने के लिए जाना जाता है।


Gritsamada was a Rigvedic sage. Most of Mandala II of the Rigveda is attributed to him. He was the son of Śunahotra Āṅgirasa and the adopted son of Śunaka Bhārgava. According to Witzel, Somāhuti Bhārgava is a descendant of Gritsamada, due to the fact that Somāhuti states that he is one among the Gritsamadas. However according to Jamison and Brereton he belongs to the Bhṛgu lineage of Gṛtsamada's adopted father Śunaka. The signature line of the Gritsamadas in the Rigveda was "May we speak loftily at the ritual distribution, in possession of good heroes." Gritsamada was known for connecting the deeds of Indra to the actions of the ritual.



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