
बौद्ध धर्म में कर्म
Karma in Buddhism
(Action driven by intention which leads to future consequences)
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कर्म: आपके कर्म, आपकी नियति
"कर्म" एक संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है "क्रिया" या "करना"। बौद्ध धर्म में, कर्म का अर्थ है इरादे (चेतना) से प्रेरित क्रिया जिसके भविष्य में परिणाम होते हैं। यह माना जाता है कि ये इरादे ही संसार (पुनर्जन्म के चक्र) में किस प्रकार का पुनर्जन्म होगा, यह तय करते हैं।
आइए इसे और विस्तार से समझते हैं:
- हर कर्म का फल है: बौद्ध धर्म के अनुसार, हर कार्य, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, एक छाप छोड़ता है। यह छाप हमारे मन पर एक बीज की तरह होती है जो समय आने पर फलित होती है।
- इरादा महत्वपूर्ण है: सिर्फ कार्य करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसके पीछे का इरादा भी मायने रखता है। अगर आप किसी की मदद अच्छे इरादे से करते हैं तो उसका फल शुभ होगा, लेकिन वही काम दिखावे के लिए करने पर फल भिन्न हो सकता है।
- कर्म और पुनर्जन्म: हमारे द्वारा किए गए कर्मों का फल सिर्फ इसी जीवन में नहीं, बल्कि अगले जन्मों में भी मिलता है। अच्छे कर्म सुखद पुनर्जन्म का मार्ग प्रशस्त करते हैं, जबकि बुरे कर्म दुख और कष्ट का कारण बनते हैं।
- कर्म से मुक्ति: बौद्ध धर्म का उद्देश्य कर्म के बंधन से मुक्ति पाना है। यह निर्वाण की प्राप्ति द्वारा संभव है, जो सभी प्रकार के दुखों से स्थायी मुक्ति की अवस्था है।
सारांश में, कर्म एक शक्तिशाली सिद्धांत है जो हमारे वर्तमान और भविष्य को आकार देता है। हमारे विचार, वाणी और कर्म का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अतः हमें सदा शुभ कर्म करने का प्रयास करना चाहिए ताकि हम एक सुखी और संतोषजनक जीवन जी सकें।
Karma is a Sanskrit term that literally means "action" or "doing". In the Buddhist tradition, karma refers to action driven by intention (cetanā) which leads to future consequences. Those intentions are considered to be the determining factor in the kind of rebirth in samsara, the cycle of rebirth.