
कासयापाहुडा
Kasayapahuda
(Canonical text of the Digambara Jains)
Summary
कषायपाहुड़: दिगम्बर जैन धर्म का एक प्राचीन ग्रंथ
"कषायपाहुड़" (जिसे "कषायप्रभृत" भी कहा जाता है) दिगम्बर जैन धर्म के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों में से एक है। यह ग्रंथ लगभग उसी समय लिखा गया था जब दूसरा महत्वपूर्ण दिगम्बर ग्रंथ "षट्खंडागम" लिखा गया था। दिगम्बर जैन समुदाय इन दोनों ग्रंथों को बहुत महत्व देता है।
जैसा कि नाम से पता चलता है, "कषायपाहुड़" मुख्य रूप से "कषायों" (मन के विकारों) के बारे में बताता है। कषाय वे मानसिक भावनाएँ हैं जो आत्मा को बांधकर रखती हैं और उसे मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त करने से रोकती हैं।
यह ग्रंथ कषायों की उत्पत्ति, उनके प्रकार, उनके प्रभाव और उनसे मुक्ति पाने के तरीकों का विस्तार से वर्णन करता है।
कषायपाहुड़ का महत्व:
- यह ग्रंथ दिगम्बर जैन दर्शन को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह कर्म सिद्धांत और मोक्ष मार्ग की गहरी समझ प्रदान करता है।
- यह साधकों को कषायों पर विजय पाने और आध्यात्मिक उन्नति करने में मदद करता है।
संक्षेप में, कषायपाहुड़ एक ऐसा प्राचीन ग्रंथ है जो जैन धर्म के अनुयायियों को आत्मज्ञान और मुक्ति की राह दिखाता है।