Tibetan_Buddhist_canon

तिब्बती बौद्ध धर्मग्रंथ

Tibetan Buddhist canon

(Loosely defined list of sacred texts recognized by various schools of Tibetan Buddhism)

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तिब्बती बौद्ध धर्मग्रंथ: एक विस्तृत व्याख्या (in detail)

तिब्बती बौद्ध धर्मग्रंथ, तिब्बती बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों द्वारा मान्य पवित्र ग्रंथों की एक सूची है। यह सूची पूरी तरह से निश्चित नहीं है, और इसमें अलग-अलग संप्रदायों के अनुसार थोड़ा बदलाव हो सकता है।

इस धर्मग्रंथ में सिर्फ़ महायान बौद्ध धर्म के ग्रंथ ही नहीं, बल्कि शुरुआती बौद्ध सम्प्रदायों (मुख्यतः सर्वास्तिवाद) और महायान स्रोतों से सूत्रयान ग्रंथ, और तांत्रिक ग्रंथ भी शामिल हैं। 14वीं शताब्दी में बुटोन रिंचेन ड्रब (1290-1364) ने तिब्बती धर्मग्रंथ का अंतिम संकलन किया था।

तिब्बतियों के पास पहले से ही एक औपचारिक रूप से व्यवस्थित महायान धर्मग्रंथ नहीं था। इसलिए उन्होंने अपनी खुद की एक योजना बनाई, जिसने ग्रंथों को दो व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया:

१. कंग्यूर (Wylie: bka'-'gyur) या "अनुवादित वचन":

  • इस श्रेणी में वे रचनाएँ शामिल हैं जिन्हें स्वयं बुद्ध द्वारा कहा गया माना जाता है।
  • माना जाता है कि सभी ग्रंथों का मूल संस्कृत में है, हालाँकि कई मामलों में तिब्बती पाठ का अनुवाद चीनी या अन्य भाषाओं से किया गया था।
  • कंग्यूर को आगे दो भागों में विभाजित किया गया है:
    • दुल्वा (Dul ba): यह विनय पिटक के अनुरूप है और इसमें बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिए नियम और अनुशासन शामिल हैं।
    • ग्युत्रुल (Gyur trul): यह सूत्र पिटक और अभिधम्म पिटक के अनुरूप है और इसमें बुद्ध के उपदेश और बौद्ध दर्शन और मनोविज्ञान की व्याख्या शामिल है।

२. तेंग्यूर (Wylie: bstan-'gyur) या "अनुवादित शास्त्र":

  • इस श्रेणी में भाष्य, ग्रंथ और अभिधर्म ग्रंथ (महायान और गैर-महायान दोनों) शामिल हैं।
  • यह भारतीय बौद्ध आचार्यों द्वारा रचित ग्रंथों का एक विशाल संग्रह है जो बुद्ध की शिक्षाओं पर विस्तार से प्रकाश डालता है।
  • तेंग्यूर में 224 खंडों में 3626 ग्रंथ हैं।
  • तेंग्यूर को विषय के आधार पर विभिन्न वर्गों में विभाजित किया गया है, जैसे प्रज्ञापारमिता, माध्यमिक, योगाचार, तंत्र, आदि।

कंग्यूर और तेंग्यूर मिलकर तिब्बती बौद्ध धर्म के विशाल और समृद्ध साहित्यिक खजाने का निर्माण करते हैं। ये ग्रंथ तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए ज्ञान, प्रेरणा और मार्गदर्शन का एक अमूल्य स्रोत हैं।


The Tibetan Buddhist canon is a loosely defined list of sacred texts recognized by various sects of Tibetan Buddhism. In addition to sutrayana texts from Early Buddhist schools and Mahayana sources, the Tibetan canon includes tantric texts. The Tibetan Canon underwent a final compilation in the 14th century by Buton Rinchen Drub (1290–1364).



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