
गुरु गोबिंद सिंह
Guru Gobind Singh
(Tenth Sikh guru from 1675 to 1708)
Summary
गुरु गोबिंद सिंह: दसवें और अंतिम मानव सिख गुरु
गुरु गोबिंद सिंह, जिन्हें गोबिंद दास के नाम से भी जाना जाता है, दसवें और अंतिम मानव सिख गुरु थे। उनका जन्म 22 दिसंबर 1666 को हुआ था और 7 अक्टूबर 1708 को उनका निधन हो गया। वे एक महान योद्धा, कवि और दार्शनिक थे।
1675 में, केवल नौ वर्ष की आयु में, उनके पिता गुरु तेग बहादुर की मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा हत्या कर दी गई थी, और उन्हें सिखों का नेता बनाया गया। उनके पिता नौवें सिख गुरु थे। उनके चार बेटे, जिन्हें उन्होंने अपने जीवनकाल में खो दिया, दो युद्ध में मारे गए और दो को मुगल गवर्नर वज़ीर खान द्वारा मृत्युदंड दिया गया।
गुरु गोबिंद सिंह ने सिख धर्म में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। 1699 में उन्होंने खालसा नामक सिख योद्धा समुदाय की स्थापना की। उन्होंने पांच के (Five Ks) की शुरुआत की, जो पांच आस्था के प्रतीक हैं जो खालसा सिख हर समय पहनते हैं।
गुरु गोबिंद सिंह को दसवां ग्रंथ का श्रेय दिया जाता है, जिसके भजन सिख प्रार्थनाओं और खालसा रीति-रिवाजों का एक पवित्र हिस्सा हैं। उन्हें गुरु ग्रंथ साहिब को सिख धर्म के प्राथमिक पवित्र धार्मिक ग्रंथ और अनन्त गुरु के रूप में अंतिम रूप देने और प्रतिष्ठित करने का श्रेय भी दिया जाता है।