
गुरु ग्रंथ साहिब
Guru Granth Sahib
(Primary scripture of Sikhism)
Summary
गुरु ग्रंथ साहिब: सिखों का पवित्र ग्रंथ
गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है। सिखों के लिए यह दस मानव गुरुओं की परंपरा के बाद अंतिम, सर्वोच्च और शाश्वत गुरु है।
आदि ग्रंथ का निर्माण:
पांचवे गुरु, गुरु अर्जन (1564-1606) ने "आदि ग्रंथ" का संकलन किया था। 29 अगस्त 1604 को इसका संकलन पूरा हुआ और पहली बार 1 सितंबर 1604 को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में स्थापित किया गया। बाबा बुद्धा को स्वर्ण मंदिर के पहले ग्रंथी के रूप में नियुक्त किया गया था। कुछ समय बाद, गुरु हरगोबिंद ने रामकली की वार को आदि ग्रंथ में जोड़ा।
गुरु ग्रंथ साहिब का विकास:
बाद में, दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु तेग बहादुर के भजन आदि ग्रंथ में जोड़े और इस ग्रंथ को अपने उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार किया। इस दूसरे संस्करण को गुरु ग्रंथ साहिब के नाम से जाना जाने लगा, जिसे कभी-कभी आदि ग्रंथ भी कहा जाता है।
ग्रंथ की संरचना:
गुरु ग्रंथ साहिब में 1,430 "अंग" (पृष्ठ) और 5,894 "शब्द" (पंक्ति रचनाएं) हैं। ये शब्द काव्यात्मक रूप से लिखे गए हैं और उत्तरी भारत की प्राचीन शास्त्रीय संगीत शैली में रचे गए हैं। ग्रंथ को मुख्य रूप से 31 "रागों" में विभाजित किया गया है, और प्रत्येक राग को लंबाई और लेखक के अनुसार उपविभाजित किया गया है। ग्रंथ के भजन मुख्य रूप से उन रागों के अनुसार व्यवस्थित हैं जिनमें उन्हें पढ़ा जाता है।
भाषा:
गुरु ग्रंथ साहिब गुरुमुखी लिपि में लिखा गया है और इसमें पंजाबी, लाहंडा, क्षेत्रीय प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत, हिंदी भाषाएं (ब्रज भाषा, बांगरू, अवधी, पुरानी हिंदी), भोजपुरी, सिंधी, मराठी, मारवाड़ी, बंगाली, फारसी और अरबी जैसी विभिन्न भाषाओं का प्रयोग किया गया है। इन भाषाओं में ग्रंथों को "संत भाषा" के सामान्य शीर्षक से जाना जाता है।
लेखकों:
गुरु ग्रंथ साहिब मुख्य रूप से छह सिख गुरुओं द्वारा रचित है: गुरु नानक, गुरु अंगद, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जन और गुरु तेग बहादुर। इसमें 14 हिंदू भक्ति आंदोलन के संतों जैसे रामानंद, कबीर और नामदेव के साथ-साथ एक मुस्लिम सूफी संत शेख फरीद की शिक्षाएं भी शामिल हैं।
दर्शन:
गुरु ग्रंथ साहिब का दर्शन एक ऐसे समाज का है जो ईश्वरीय स्वतंत्रता, दया, प्रेम, एक ईश्वर में विश्वास और बिना किसी दमन के न्याय पर आधारित है। हालांकि ग्रंथ हिंदू धर्म और इस्लाम के ग्रंथों को स्वीकार करता है और उनका सम्मान करता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि यह दोनों धर्मों के साथ नैतिक समझौता करता है।
सिखों में महत्व:
गुरु ग्रंथ साहिब को सिख मंदिर (गुरुद्वारा) में स्थापित किया जाता है। एक सिख आमतौर पर मंदिर में प्रवेश करने पर इसके सामने झुकता है। ग्रंथ को "गुरुवाणी" के रूप में पूजा जाता है और सिख धर्म में आध्यात्मिक अधिकार माना जाता है।