Guru_Amar_Das

गुरु अमर दास

Guru Amar Das

(Third Sikh guru from 1552 to 1574)

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गुरु अमर दास: सिख धर्म के तीसरे गुरु

गुरु अमर दास (5 मई 1479 - 1 सितंबर 1574), जिन्हें कभी-कभी गुरु अमर्दास भी कहा जाता है, सिख धर्म के दस गुरुओं में से तीसरे गुरु थे। 26 मार्च 1552 को 73 साल की उम्र में वे सिख गुरु बने।

गुरु बनने से पहले:

  • गुरु अमर दास एक साधारण व्यक्ति थे। वे एक धार्मिक यात्रा पर निकले थे और एक गुरु की तलाश में थे।
  • इस दौरान उन्होंने अपने भतीजे की पत्नी, बीबी अमर, को गुरु नानक द्वारा रचित एक भजन गाते हुए सुना। इससे वे बहुत प्रभावित हुए।
  • बीबी अमर गुरु अंगद की बेटी थीं, जो उस समय सिखों के दूसरे गुरु थे।
  • अमर दास ने बीबी अमर को राजी किया कि वह उन्हें अपने पिता से मिलवाए।
  • 1539 में, अमर दास, जो उस समय 60 साल के थे, ने गुरु अंगद से मुलाक़ात की और सिख बन गए। वे गुरु के प्रति पूर्ण समर्पित हो गए।

गुरु अमर दास का योगदान:

  • 1552 में, अपनी मृत्यु से पहले, गुरु अंगद ने अमर दास को सिख धर्म का तीसरा गुरु नियुक्त किया।
  • गुरु अमर दास ने सिख धर्म में महत्वपूर्ण बदलाव किए। उन्होंने 'मंजी सिस्टम' नामक एक धार्मिक संगठन बनाया।
  • इस सिस्टम में उन्होंने प्रशिक्षित पादरियों (धार्मिक नेताओं) की नियुक्ति की, जो आगे चलकर सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे।
  • उन्होंने भजनों को एक पुस्तक में संकलित किया जिसे 'पोथी' कहा जाता है। यह पुस्तक बाद में 'आदि ग्रंथ' के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

गुरु अमर दास की विरासत:

  • अमर दास 95 वर्ष तक सिखों के नेता रहे।
  • उन्होंने अपने दामाद, भाई जेठा को अपना उत्तराधिकारी बनाया। जेठा को बाद में गुरु राम दास के नाम से जाना गया।

गुरु अमर दास एक महान गुरु थे जिन्होंने सिख धर्म को नई दिशा दी और उसे मजबूत किया। उनके योगदान और शिक्षाओं का आज भी सिख धर्म में बहुत महत्व है।


Guru Amar Das, sometimes spelled as Guru Amardas, was the third of the Ten Gurus of Sikhism and became Sikh Guru on 26 March 1552 at age 73.



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