Khalsa

खालसा

Khalsa

(Sikh community, as well as a special group of initiated Sikhs)

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खालसा: एक विस्तृत विवरण

खालसा, पंजाबी में "ख़ालसा" (खालसा), सिख धर्म को अपनाने वाले समुदाय और दीक्षित सिखों के एक विशेष समूह दोनों का वर्णन करता है। यह परंपरा सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह द्वारा 1699 में शुरू की गई थी। खालसा की स्थापना सिख धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसे सिख वaisakhi पर्व के दौरान मनाया जाता है।

गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा परंपरा की शुरुआत अपने पिता, गुरु तेग बहादुर की हत्या के बाद की थी। मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में, गुरु तेग बहादुर को इस्लामी शरिया कानून के तहत मृत्युदंड दिया गया था क्योंकि हिंदू ब्राह्मणों ने उन्हें अपने धर्म की रक्षा के लिए मदद मांगी थी। गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा को धार्मिक उत्पीड़न से निर्दोषों की रक्षा करने वाले योद्धाओं के रूप में स्थापित किया।

खालसा की स्थापना ने सिख परंपरा में एक नया अध्याय शुरू किया। गुरु ने दीक्षा समारोह (अमृत संस्कार) और खालसा योद्धाओं के लिए आचरण के नियम तैयार किए। उन्होंने सिख समुदाय के लौकिक नेतृत्व के लिए एक नई संस्था बनाई, जो पहले के 'मसंद' प्रणाली की जगह लेती थी। इसके अतिरिक्त, खालसा ने सिख समुदाय को एक राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण प्रदान किया।

दीक्षा के बाद, एक पुरुष सिख को "सिंह" (शेर) की उपाधि दी जाती थी। 20वीं सदी में कौर, महिला सिखों के लिए एकमात्र अनिवार्य पहचान बन गई। जीवन के नियमों में 'रहित' नामक आचार संहिता शामिल है। कुछ नियमों में तंबाकू, नशीले पदार्थ, व्यभिचार, कुत्था मांस, शरीर पर बालों का संशोधन और एक ड्रेस कोड (पांच क) का निषेध शामिल है।


Khalsa refers to both a community that considers Sikhism as its faith, as well as a special group of initiated Sikhs. The Khalsa tradition was initiated in 1699 by the Tenth Guru of Sikhism, Guru Gobind Singh. Its formation was a key event in the history of Sikhism. The founding of Khalsa is celebrated by Sikhs during the festival of Vaisakhi.



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