
बौद्ध ब्रह्माण्ड विज्ञान
Buddhist cosmology
(Description of the universe in Buddhist texts)
Summary
बौद्ध ब्रह्मांड विज्ञान: संसार का नक्शा
बौद्ध ब्रह्मांड विज्ञान बौद्ध ग्रंथों और टीकाओं के अनुसार ब्रह्मांड के आकार और विकास का वर्णन करता है। यह एक कालिक और एक स्थानिक ब्रह्मांड विज्ञान से बना है।
कालिक ब्रह्मांड विज्ञान विभिन्न युगों (कल्पों) में वैकल्पिक ब्रह्मांडों के निर्माण और विनाश की समय सीमा का वर्णन करता है।
स्थानिक ब्रह्मांड विज्ञान दो भागों में विभाजित है:
- ऊर्ध्वाधर ब्रह्मांड विज्ञान: यह विभिन्न भवनों (लोक) का वर्णन करता है जहाँ प्राणी अपने कर्मों और विकास के आधार पर पुनर्जन्म लेते हैं।
- क्षैतिज ब्रह्मांड विज्ञान: यह संसार चक्र में शामिल अनंत आकारिक ब्रह्मांडों (लोकांतर) के वितरण का वर्णन करता है।
बौद्ध धर्म के अनुसार, सम्पूर्ण ब्रह्मांड पांच मूल तत्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश - से बना है। बौद्ध ब्रह्मांड विज्ञान कर्म के सिद्धांत से भी जुड़ा हुआ है। नतीजतन, कुछ युग समृद्धि और शांति से भरे होते हैं क्योंकि लोग अच्छे कर्म करते हैं, जबकि अन्य युग दुख, बेईमानी और छोटी आयु से भरे होते हैं।
बौद्ध ब्रह्मांड विज्ञान के कुछ प्रमुख तत्व:
- कल्प: एक युग, जिसकी अवधि अविश्वसनीय रूप से लंबी होती है, जिसमें ब्रह्मांड का निर्माण, विकास और विनाश होता है।
- लोकांतर: एक ब्रह्मांड या दुनिया, जिसमें कई लोक या भवन होते हैं।
- लोक: भवन, जहां प्राणी अपने कर्मों के अनुसार पुनर्जन्म लेते हैं। लोक विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे देवलोक, मानुषलोक, तिर्यक्लोक, नरक, आदि।
- कर्म: कार्यों का नियम, जिसके आधार पर प्राणी भवनों में पुनर्जन्म लेते हैं।
- संसार: जन्म-मृत्यु के चक्र, जो कर्म से संचालित होता है।
बौद्ध ब्रह्मांड विज्ञान एक जटिल और गहरा दर्शन है जो जीवन के अर्थ और संसार के कामकाज को समझने में मदद करता है। यह बताता है कि हमारे कर्म हमारे भविष्य को निर्धारित करते हैं और हमें संसार से मुक्ति पाने के लिए कर्मों पर नियंत्रण रखना चाहिए।