
गुरु हर राय
Guru Har Rai
(Seventh Sikh guru from 1644 to 1661)
Summary
गुरु हरि राय - सातवें नानक: एक विस्तृत विवरण
गुरु हरि राय (गुरुमुखी: ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਰਾਇ, उच्चारण: [gʊɾuː ɦəɾ ɾaːɪ]) सिख धर्म के दस गुरुओं में से सातवें गुरु थे। उन्हें "सातवें नानक" के रूप में सम्मानित किया जाता है।
जीवन काल:
गुरु हरि राय का जन्म 16 जनवरी 1630 को हुआ था। वे 14 साल की उम्र में 3 मार्च 1644 को अपने दादा और छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद की मृत्यु के बाद सिख नेता बने। उन्होंने लगभग सत्रह वर्षों तक सिखों का मार्गदर्शन किया और 31 साल की उम्र में 6 अक्टूबर 1661 को उनका निधन हो गया।
सेना और शांति:
गुरु हरि राय छठे गुरु द्वारा बनाई गई सिख सैनिकों की बड़ी सेना को बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन, उन्होंने युद्ध से बचने का प्रयास किया।
मुगल उत्तराधिकारी युद्ध में भूमिका:
मुगल साम्राज्य के उत्तराधिकारी युद्ध में, गुरु हरि राय ने मुगल सम्राट औरंगजेब के बजाय उसके भाई दारा शिकोह का समर्थन किया। दारा शिकोह सुफी विचारों से प्रभावित एक उदारवादी शासक थे, जबकि औरंगजेब कट्टरपंथी सुन्नी विचारधारा से प्रेरित था।
औरंगजेब और गुरु हरि राय का सामना:
1658 में औरंगजेब ने उत्तराधिकारी युद्ध जीत लिया। 1660 में, औरंगजेब ने दारा शिकोह का समर्थन करने के लिए गुरु हरि राय को अपने सामने पेश होने का आदेश दिया। गुरु हरि राय ने अपने बड़े बेटे राम राय को अपनी तरफ से भेजने का निर्णय लिया। औरंगजेब ने राम राय को बंदी बना लिया और आदि ग्रंथ (उस समय सिखों का पवित्र ग्रंथ) के एक पद के बारे में पूछताछ की। औरंगजेब ने दावा किया कि वह पद मुसलमानों का अपमान करता है। राम राय ने औरंगजेब को खुश करने के लिए उस पद को बदल दिया, बजाय सिख धर्मग्रंथ के प्रति वफादार रहने के।
राम राय का बहिष्कार:
गुरु हरि राय ने अपने बड़े बेटे के इस कृत्य के लिए उसे सिख समुदाय से बहिष्कार कर दिया। उन्होंने अपने छोटे बेटे हर कृष्ण को अपना उत्तराधिकारी नामित किया। गुरु हरि राय की मृत्यु 1661 में हुई, और पांच साल के हर कृष्ण आठवें गुरु बने।
अन्य जानकारी:
कुछ सिख साहित्य में गुरु हरि राय का नाम "हरि राय" भी लिखा जाता है।