
गुरु तेग बहादुर
Guru Tegh Bahadur
(Ninth Sikh guru from 1665 to 1675)
Summary
गुरु तेग़ बहादुर: एक वीर योद्धा और प्रबुद्ध आत्मा
गुरु तेग़ बहादुर सिख धर्म के दस गुरुओं में नौवें थे। उन्होंने सिख धर्म का नेतृत्व 1665 से 1675 तक किया, जब तक कि उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया गया। उनका जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर, पंजाब, भारत में हुआ था। वह छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद के सबसे छोटे पुत्र थे।
गुरु तेग़ बहादुर को एक सिद्धांतवान और निडर योद्धा के रूप में जाना जाता है। वे एक विद्वान आध्यात्मिक विद्वान और कवि भी थे, जिनके 115 भजन गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल हैं। गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का मुख्य ग्रंथ है।
छठे मुगल सम्राट, औरंगज़ेब के आदेश पर, गुरु तेग़ बहादुर को 11 नवंबर 1675 को दिल्ली, भारत में मृत्युदंड दिया गया था। दिल्ली में गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब, क्रमशः गुरु तेग़ बहादुर के मृत्युस्थल और दाह संस्कार स्थल को चिह्नित करते हैं। उनकी शहादत दिवस, जिसे 'शहीदी दिवस' के रूप में जाना जाता है, भारत में हर साल 24 नवंबर को मनाया जाता है।
गुरु तेग़ बहादुर की कहानी न केवल उनकी बहादुरी और शहादत का प्रमाण है, बल्कि यह सिख धर्म के धार्मिक मूल्यों और आध्यात्मिक मार्ग के बारे में बहुत कुछ बताती है। उन्होंने अपने जीवनकाल में धार्मिक स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और धर्म परिवर्तन के विरोध में अपनी जान दे दी। उनकी शिक्षाएँ और बलिदान आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देती हैं।