
सराह
Saraha
(Indian poet)
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सारहपा: एक तीरंदाज, एक सिद्ध, और वज्रयान के संस्थापकों में से एक
सारहपा, सारह या सारहपाद (तिब्बती: མདའ་བསྣུན་, [danün], Wyl. mda' bsnun तीरंदाज), आठवीं शताब्दी के एक महान बौद्ध सिद्ध थे। उन्हें सहजिया परंपरा के प्रथम गुरुओं में से एक माना जाता है।
नाम का अर्थ:
"सारह" नाम का अर्थ है "वह जिसने तीर चलाया है"। यह नाम उनके जीवन की एक प्रसिद्ध घटना से जुड़ा है। कहा जाता है कि सारहपा ने एक बार एक डाकिनी से शिक्षा ग्रहण की जो एक निम्न जाति के तीरंदाज के वेश में थी। इस घटना का गूढ़ अर्थ यह भी है कि सारहपा ने द्वैत के हृदय में अद्वैत का तीर चलाया था।
योगदान:
- सारहपा को वज्रयान बौद्ध धर्म के संस्थापकों में से एक माना जाता है, खासकर महामुद्रा परंपरा जो तिब्बत में मन की शिक्षाओं से जुड़ी है।
- सारहपा ने दोहा नामक छोटे, गूढ़ पद्यों में अपनी शिक्षाएँ दीं जो उनके समय की बोलचाल की भाषा में रची गई थीं।
प्रारंभिक जीवन:
- सारहपा का असली नाम राहुल या राहुलभद्र था।
- उनका जन्म पूर्वी भारत के रजनी राज्य के रोली क्षेत्र में एक शाक्य परिवार में हुआ था।
- उन्होंने नालंदा के प्रसिद्ध बौद्ध विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की।
सारहपा का जीवन और शिक्षाएँ हमें याद दिलाती हैं कि:
- ज्ञान किसी भी रूप में और कहीं भी मिल सकता है।
- सच्ची मुक्ति द्वैत के बंधन से मुक्त होने में है।
- सरलता और स्पष्टता आध्यात्मिक शिक्षाओं के लिए आवश्यक हैं।
Saraha, Sarahapa, Sarahapāda, was known as the first sahajiya and one of the Mahasiddhas. The name Saraha means "the one who has shot the arrow.". According to one, scholar, "This is an explicit reference to an incident in many versions of his biography when he studied with a dakini disguised as a low-caste arrow smith. Metaphorically, it refers to one who has shot the arrow of non duality into the heart of duality."