
सतीपत्तन
Satipatthana
(Mindfulness in Buddhism)
Summary
सतिपट्ठान: एक सरल व्याख्या और विस्तृत विवरण
सतिपट्ठान (पाली: Satipaṭṭhāna; संस्कृत: स्मृत्युपस्थान) बौद्ध धर्म में एक केंद्रीय अभ्यास है, जिसका अर्थ है "सचेतनता की स्थापना" या "सचेतनता की उपस्थिति", या वैकल्पिक रूप से "सचेतनता की नींव"। यह मन की एक स्वस्थ अवस्था के विकास में सहायता करता है।
थेरवाद बौद्ध धर्म में, चार क्षेत्रों पर सचेतन ध्यान लगाने को महत्वपूर्ण माना जाता है:
- शरीर: अपने शरीर के बारे में जागरूक रहना, जैसे श्वास लेना, चलना, बैठना, आदि।
- वेदना: सुखद, दुखद और तटस्थ, सभी प्रकार की संवेदनाओं को बिना किसी प्रतिक्रिया के महसूस करना।
- मन: अपने मन की स्थिति - शांत, अशांत, प्रसन्न, क्रोधित - के प्रति जागरूक रहना।
- धम्म: बुद्ध की शिक्षाओं के प्रमुख सिद्धांतों, जैसे चार आर्य सत्य, अष्टांगिक मार्ग, आदि पर ध्यान केंद्रित करना।
ऐसा माना जाता है कि इन चारों क्षेत्रों पर सचेतनता का अभ्यास करने से पांच hindrances (बाधाएं) को दूर करने और सात बोध्यांगों (जागृति के पहलू) के विकास में मदद मिलती है।
सतिपट्ठान सुत्त आधुनिक थेरवाद बौद्ध धर्म में सबसे प्रभावशाली ध्यान ग्रंथों में से एक है, जिस पर विपश्यना आंदोलन की शिक्षाएँ आधारित हैं। हालाँकि ये शिक्षाएँ सभी बौद्ध परंपराओं में पाई जाती हैं, आधुनिक थेरवाद बौद्ध धर्म और विपश्यना आंदोलन विशेष रूप से सतिपट्ठान के अभ्यास को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं ताकि अनित्यता (अस्थायित्व) में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए सचेतनता विकसित की जा सके, जिससे मुक्ति की पहली अवस्था प्राप्त हो सके। लोकप्रिय समझ में, मन को शांत करने के लिए सचेतनता नग्न जागरूकता के अभ्यास के रूप में विकसित हुई है।
विस्तार से:
- पांच hindrances (बाधाएं): ये पाँच मानसिक अवस्थाएँ हैं जो ध्यान और आध्यात्मिक प्रगति में बाधा डालती हैं। ये हैं कामच्छा, व्यापाद (द्वेष), थिन-मिद्ध (सुस्ती और जड़ता), उद्धच्छ-कुक्कुच्च (बेचैनी और पछतावा) और विचिकिच्छा (संदेह)।
- सात बोध्यांग (जागृति के पहलू): ये सात कारक हैं जो ज्ञान और मुक्ति की ओर ले जाते हैं। ये हैं सति (सचेतनता), धम्म-विचय (धर्म की खोज), वीर्य (प्रयास), पीति (प्रीति), पस्सद्धि (शांति), समाधि (एकाग्रता) और उपेक्खा (समता)।
- अनित्यता (अस्थायित्व): बौद्ध धर्म में एक केंद्रीय सिद्धांत, जो कहता है कि सभी चीजें परिवर्तन के अधीन हैं और कोई भी चीज स्थायी नहीं है।
निष्कर्ष:
सतिपट्ठान, या सचेतनता का अभ्यास, बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मन को प्रशिक्षित करने और दुख से मुक्ति प्राप्त करने का एक तरीका है।